Dainik Bhaskar
Jun 05, 2019, 09:21 AM IST
प्रदूषित शहरों में शुद्ध हवा का जरिया है इनडोर पौधे
पानीपत (मनोज कौशिक)। भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। जहरीली हवा की वजह से यहां एक साल में करीब 12 लाख लोग मर जाते हैं। स्टेट ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित हवा की वजह से वैश्विक स्तर पर आयु औसतन 1 साल 8 महीने कम हो गई है। हवा में पालूशन पार्टिकल की अधिकता है। ऐसे में फेफड़ों का कैंसर, शुगर, हार्ट अटैक व स्ट्रोक जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही है। लोग इलेक्ट्रॉनिक एयर प्यूरिफायर इस्तेमाल कर शुद्ध हवा लेने की कोशिश करते हैं लेकिन जरूरत पेड़ों की है, जो अपने आप में नैचुरल प्यूरिफायर हैं। हमारे पर्यावरण में कुछ ऐसे इनडोर पौधे भी मौजूद हैं, जो किसी एयर प्यूरिफायर से कम नहीं, खुद नासा ने इस बात को माना है। पर्यावरण दिवस के मौके पर दैनिक भास्कर प्लस एक्सपर्ट के माध्यम से बता रहा है ऐसे पौधों से जुड़ी जानकारी..
बड़े शहरों में इनडोर पौधे बेहतर विकल्प जो अपने आप में है एयर प्यूरिफायर
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पानीपत के आर्य कॉलेज में बॉटनी (वनस्पति विज्ञान) के एचओडी बलकार सिंह कहते हैं कि पौधे इनडोर हो या आउटडोर वो पर्यावरण के लिए बेहतर हैं लेकिन महानगरों में प्रदूषण की समस्या के साथ स्पेश की बहुत बड़ी समस्या है। पेड़ लगाने के लिए जगह नहीं है ऐसे स्थिति में घरों की छतों पर गमलों में लगने वाले पौधों के साथ-साथ इनडोर पौधे सबसे बेहतर विकल्प हैं, जो अपने आप में एक एयर प्यूरिफायर हैं।
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- एरेका पाम: गर्मी-सर्दी हर मौसम बर्दास्त कर लेता है। यह बहुत तेजी से बढ़ता है। इस वजह से आक्सीजन भी ज्यादा देता है और हवा भी ज्यादा फिल्टर करता है। यह कार्बन डाईऑक्साइड को सीधे ऑक्सिजन में बदलता है।
- जैड-जैड प्लांटः मैदानी इलाकों के मौसम के लिए उपयुक्त पौधा है। इस पौधे के एक गमले से 20 गमले बना सकते हैं। एक टहनी को किसी दूसरे गमले में लगा देने से उसमें पौधा तैयार हो जाता है। यह घर की हवा से टोल्यूनि व जाइलीन को खत्म करता है और आक्सीजन लेवल बढ़ता है। हवा से एयरबोर्न बैक्टीरिया भी खत्म करता है।
- मनी प्लांटः यह मिट्टी और पानी दोनों जगह पैदा हो सकती है। देखने में बेहद आकर्षक लगती है। इसकी खासियत यह है कि इसकी डंठल भी लगा दें तो यह जड़ पकड़ लेता है। यह घर को फ्रेश लुक तो दोता ही है, साथ ही हवा से फोर्मलडीहाइड को भी दूर करने में मदद करता है।
- एग्लोनिमा प्लांटः यह कई रंग में आता है। घरों के अंदर रखा हुआ बेहद आकर्षक लगता है। आक्सीजन तो छोड़ता है। साथ साथ हवा से फॉर्मलडिहाइड, कॉर्बन मोनोअॉक्साइड और बेंजीन को अपने अंदर सम्माहित कर लेता है।
- सिंगोनियम प्लांटः यह प्लांट सफेद पत्तों से लेकर लाल, पीला, ग्रीन आदि रंगों में आता है। देखने में सुंदर लगता है। यह डेकोरेशन के साथ-साथ एक एंटी पोल्यूटेंट का काम करता है। घर के अंदर की हवा से प्रदूषण कम करता है। यह पौधा हवा से बेंजीन, फॉर्मलडिहाइड को कम करता है। यह वायुजनित रोगाणुओं को घटा कर वातावरण में नमी बढ़ाता है।
- सान्सेवीरिया प्लांटः यह पौधा हर वातावरण में रह सकता है। यह कॉर्बन मोनोअॉक्साइड, बेंजीन, एक्सलीन, फॉर्मलडिहाइड, ट्राईक्लोरोइथीलीन को कम करता है।
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ऐसे होती है एयर प्यूरिफायर
बलकार सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं है कि ये पौधे सिर्फ जहरीले कणों को अपने अंदर समाहित करते हैं बल्कि वातावरण में मौजूद हर तरह के कणों को वे समाहित कर लेते हैं। दरअसल पौधे जब प्रकाश संश्लेषण (यानि भोजन बनाने की प्रक्रिया) करते हैं तो वे कार्बन डाई आक्साइड, पानी और सूर्य की रोशनी लेते हैं। इसके बाद वे आक्सीजन छोड़ते हैं। इनडोर पौधे ऐसे पौधे होते हैं जो घरों के अंदर होते हुए भी बिना सूर्य की रोशनी के भोजन की प्रक्रिया करते हैं। इस वजह से वे अंदर के वातारण में जीवित रहते हैं। वे छोटे-छोटे रोम छिद्रों के माध्यम से वातावरण से कार्बन डाई आक्साइड लेते हैं, इस दौरान वातावरण में मौजूद हानिकारक कण उनके रोम छिद्रों के माध्यम से अंदर समाहित हो जाते हैं और हवा प्यूरिफाइंग होती है। पौधा जितना तेजी से बढ़ेगा वह उतनी तेजी से भोजन बनाने की प्रक्रिया करेगा और ज्यादा से ज्यादा आक्सीजन छोड़ेगा और एयर प्यूरिफाइंग भी करेगा।
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नासा ने रिसर्च के बाद किया है सिद्ध
नेशनल ऐरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के शोधकर्ता बीसी वोलवर्टन ने इनडोर प्लांट पर 10 साल तक रिसर्च की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ये पौधे न केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं बल्कि जहरीले कणों को भी खत्म करते हैं। इसके अलावा हल्के स्तर के जहरीले कणों को खत्म कर हवा को साफ करते हैं।
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मानसिक तनाव होता हैं कम
2015 में कोरिया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया शोध बताता है कि इनडोर प्लांट मानसिक तनाव कम करता है। इसके साथ-साथ वर्क प्लेस पर होने वाले तनाव को भी कम करता है। आंखों को देखने में अच्छे लगते हैं और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
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भारत में स्वास्थ्य संबंधी मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण
स्टेट अॉफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्वास्थ्य संबंधी मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। 2017 में भारत में 12 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई। जबकि चीन में प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 14 लाख थी। प्रदूषण की वजह से एशिया में बच्चों की औसत उम्र 30 महीने कम हो गई है जबकि यह लेवल विश्व स्तर पर 20 महीने है। यदि आज कोई बच्चा भारत में पैदा होता है तो वह प्रदूषण की वजह से अपनी औसत उम्र से 30 महीने पहले मर जाएगा। भारत में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह घरों में फूंका जाने वाला ईंधन, कंस्ट्रक्शन की धूल, रोड पर उड़ने वाली धूल, इंड्रस्ट्रीज से निकलने वाला धुआं व गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ एक बड़ा कारण है।
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