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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

कश्मीर के पम्पोर का शुद्ध केसर ब्र्रांडेड अबू केसर स्टार्टअप ने चंडीगढ़ की वीग्रो मैगामार्ट के साथ करार किया

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ई-कॉमर्स के जरिये 25 से 30 प्रतिशत केसर की बिक्री सीधे किसान से ग्राहक तक होगी: बंसल
चंडीगढ, सुनीता शास्त्री । दो युवा कश्मीरी उद्यमियों ने ब्रांडेड केसर (केसर) संबंधी एक स्टार्टअप शुरू किया है। श्रीनगर के हिलाल अहमद मलिक और जुनैद गुलजार बाफंदा ने न्यू जैनरेशन एग्रो की स्थापना की है, जिसके बैनर तले वे दुनिया के सबसे महंगे स्पाइस – केसर का उत्पादन करेंगे। स्टार्टअप ने जम्मू एवं कश्मीर के पम्पोर में 30 एकड़ भूमि की व्यवस्था की है। न्यू जैनरेशन एग्रो के सह-संस्थापक हिलाल अहमद मलिक ने कहा, कश्मीर की संजीवनी पम्पोर का केसर दुनिया में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है। हमने आज अपने सैफ्रन ब्रांड अबू केसर का अनावरण किया है, जिसकी खासियत है इसकी उम्दा क्वालिटी। यह केसर का सबसे शुद्ध रूप है, जिसे ऑर्गेनिक रूप से पैदा किया जाता है। केसर की शुद्धता और प्रमाणिकता का अंदाजा उसके गहरे प्राकृतिक लाल रंग और सुगंध से सिद्ध होती है। समुद्र तल से 1600 मीटर से 1800 मीटर की ऊंचाई पर इसकी खेती की जाती है और इसे हाथ से चुना जाता है। हमारा लक्ष्य हर साल 50 किलोग्राम केसर का उत्पादन करने का है।हिलाल और जुनैद ने चंडीगढ़ स्थित कंपनी वीग्रो मैगामार्ट के साथ करार किया है, जो चंडीगढ़, पंजाब, उत्तर भारतीय राज्यों और भारत के अन्य क्षेत्रों में तथा दूसरे चरण में पूरे भारत में केसर की मार्केटिंग व वितरण करेगी। वीग्रो मेगामार्ट के सह-संस्थापक विशाल बंसल, ने कहा, चंडीगढ़ में अबू केसर के लॉन्च के साथ, हम पंजाब में सालाना लगभग 3-4 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। चूंकि चंडीगढ़ की लोकेशन ऐसी है कि यह पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के लिए एक प्रवेश द्वार की तरह है, इसलिए हम यहां अपना गोदाम स्थापित करेंगे और फिर पारंपरिक रूप से सी एंड एफ और पंजाब व पड़ोसी राज्यों जैसे हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली आदि में वितरकों के माध्यम से अपने उत्पाद का विस्तार करेंगे। हमारे वितरण का एक अन्य पहलू यह होगा कि हम ई-कॉमर्स के जरिये 25 से 30 प्रतिशत केसर की बिक्री सीधे किसान से ग्राहक तक पहुंचाएंगे। उल्लेखनीय है कि दोनों कंपनियों के बीच गठजोड़ जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गति देगा और कश्मीरी युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खोलेगा। यह सहयोग एक उदाहरण के रूप में भी काम करेगा, और इसकी तर्ज पर जेएंडके के अन्य उद्यमी भी देश भर में अपने व्यवसायों को फैला सकेंगे, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूती मिलेगी और जेएंडके के रास्ते में आ रही तमाम समस्याओं का समाधान निकल सकेगा।यहां यह बताना उचित होगा कि भारत सरकार ने इस वर्ष केसर उत्पादकों को केसर के अधिकाधिक उत्पादन और संरक्षण हेतु रु 411 करोड़ की आर्थिक सहायता दी है। सिर्फ वर्तमान सरकार ही नहीं, 2010 में भी भारत सरकार ने रु 372 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की थी, ताकि केसर का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 3 किलोग्राम से बढ़ाकर 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किया जा सके।न्यू जैनरेशन एग्रो के दूसरे सह-संस्थापक जुनैद गुलजार बाफंदा ने कहा, जम्मू-कश्मीर में केसर के उत्पादन की बहुत अधिक गुंजाइश है। दुनिया में केसर का कुल उत्पादन 325 टन है, जिसमें 90 प्रतिशत उत्पादन ईरान में होता है। भारत एक साल में 3 टन से अधिक सकल उत्पादन के साथ केसर की खेती में चौथे स्थान पर है। इस क्षेत्र में भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से उत्पादन में कई गुना वृद्धि हो सकती है। वीग्रो मैगामार्ट के सह-संस्थापक निखिल बंसल ने कहा, संगठित रूप से कश्मीर के केसर के मार्केटिंग मॉडल से निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और घाटी के छोटे व सीमांत किसानों को लाभ कमाने में मदद मिलेगी। उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर शुद्ध कश्मीरी केसर मिल सकेगा। फिलहाल केसर का एक बड़ा असंगठित बाजार है और बाजार में बहुत तरह का नकली केसर बेचा जा रहा है। हमारे उद्यम से इस प्रवृत्ति पर रोक लग सकती है।