चंडीगढ़। पंजाब सरकार की ओर से कर्ज माफीकरने की योजना शुरू करने के बावजूद प्रदेश में कर्जदार किसानों द्वारा आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा है। प्रदेश में तीन और किसानों ने कर्ज से परेशान होकर अपनी जान दे दी।
सरकार की ओर से जारी की कर्जमाफी की सूची में अपना नाम न आने से आहत होकर बठिंडा के गांव पिथो के किसान बूटा सिंह ने अपने घर में पंखे में कपड़ा बांध कर गले में फंदा लगा लिया। गांव के सरपंच गुरजंट सिंह ने बताया कि बूटा सिंह गरीब परिवा था, जिस कारण उसने विवाह तक नहीं करवाया था। वह अपने छोटे भाई बलविंदर सिंह बादल के साथ रहता था। बूटा सिंह के पास मात्र 7 कनाल जमीन थी। आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी बाकी जमीन बेच चुका था।
उस पर कॉरपोरेशन बैंक का 2.5 लाख, पंजाब एंड सिंध बैंक का 90 हजार और सहकारी सभा का 25 हजार रुपये कर्ज था। सरकार की ओर से जारी कर्जमाफी की सूची में उसका नाम न आने से वह परेशान था। इसी कारण उसने आत्महत्या कर ली। रामपुरा सदर थाने की पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और कार्रवाई निपटाने के बाद परिवार के सुपुर्द कर दिया है।
इसके अलावा फरीदकोट के गांव चहिल में किसान गुरदेव सिंह संधू (47) ने अपने खेत में बने ट्यूबवेल के पास गीे में फंदा डालकर जान दे दी। गुरदेव सिंह पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह के करीबी रहे स्वतंत्रता सेनानी स्व. ऊधम सिंह संधू का पौत्र था। उस पर विभिन्न बैंकों व वित्तीय संस्थाओं का करीब 25 लाख कर्ज था। इससे वह परेशान था।
गुरदेव संधू के पास करीब 18 एकड़ जमीन थी, लेकिन उसके सिर पर काफी कर्ज था। कर्ज न उतार पाने के चलते वह पिछले कुछ दिनों से तनाव में था। पारिवारिक सदस्यों के मुताबिक सोमवार देरशाम गुरदेव संधू अचानक घर से चले गए और रात में घर नहीं लौटे। मंगलवार सुबह उनका शव खेतों के कुएं में लटकता हुआ बरामद हुआ। थाना सदर कोटकपूरा की पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है।
उधर, संगरूर में लहरागागा के नजदीक गांव लहल कलां में किसान हरदीप सिंह (32) ने कर्ज से परेशान होकर अपने घर में फंदा लगा लिया। उसने कुछ माह पहले लाखों रुपये का कर्जा लेकर लहल कलां मूनक रोड पर मकान बनाया था। उसके पास दो कनाल से भी कम जमीन थी जिस कारण वह कर्ज नहीं लौटा सका।
इसके साथ दूसरी परेशानी तब जुड़ गई जब उसे पता चला कि यह सड़क चौड़ी होकर फोर लेन बनेगी और उसका मकान सड़क की जद में आने से उसके बच्चों के सिर पर छत नहीं रहेगी। उसने अपने घर में लगे पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।