चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। एनजेड सीसी एवं प्राचीन कला केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान से एक विशेष सांगीतिक संध्या का आयोजन प्राचीन कला केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 4 बजे से किया गया । इस संध्या में आगरा की प्रतिभावान शास्त्रीय गायिका शुभ्रा तलेगांवकर द्वारा मधुर प्रस्तुति दी गई। शुभ्रा आगरा के जाने माने सांगीतिक परिवार से हैं। इनके दादा पंडित रघुनाथ तलेगांवकर एवं पिता श्री केशव तलेगांवकर महान संगीतज्ञों की श्रेणी के उच्चकोटि कलाकार थे । बचपन से ही संगीत में रूचि रखने वाली शुभ्रा ने संगीत की शिक्षा अपने पिता एवं माता से प्राप्त की । मधुर आवाज की धनी शुभ्रा गायकी के क्षेत्र में नए आयाम बना रही है ।आज के कार्यक्रम की शुरूआत शुभ्रा ने पारम्परिक आलाप से की । राग मधुवंती से कार्यक्रम आरंभ करके शुभ्रा ने विलम्बित ख्याल रूपक ताल की रचना ”ओ रसीया मानो मेरी बतीयां” पेश की । उपरांत मध्य लय तीन ताल से सजी रचना ”घुंघर मोरा बाजे” पेश की । इसके उपरांत आड़ा चैताल में निबद्ध तराना पेश किया । इस तराने की रचना शुभ्रा के पिता श्री केशव तलेगांवकर जी ने की थी । इसके पश्चात शुभ्रा ने बेहद अनूठी रचना जो कि ठुमरी की तरह थी पेश की ये रचना विभिन्न रागों से सुसज्जित थी । इस रचना को शुभ्रा की माता श्रीमती प्रतिभा केशव तलेगांवकर ने स्वरबद्ध किया था । इसके बोल थे ”नहीं सुने कोई बतीयां मेरी” । इसके उपरांत शुभ्रा ने अपनी माता द्वारा रचित राग भैरवी में निबद्ध तीन ताल की रचना ”बेलरिया फूलन लागे” प्रस्तुत की ।कार्यक्रम का समापन इन्होंने मीराबाई के प्रसिद्ध भजन ”मत जा मत जा मत जा जोगी रे” से की ।ार्यक्रम में शुभ्रा के साथ तबले पर महमूद खां एवं हारमोनियम पर राकेश कुमार ने बखूबी संगत की कार्यक्रम के अंत में केंन्द्र की रजिस्टर डॉ.शोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया ।
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020