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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट मिलवा रही है गुमशुदा परिवारजनों को।

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पति के शक से तंग आ छोड़ा घर, क्राइम ब्रांच ने 5 साल बाद ढूंढा।
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट मिलवा रही है गुमशुदा परिवारजनों को।

Chandigarh April 6

स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने 5 साल से गुमशुदा 31 वर्षीय महिला को हिमाचल से ढूंढ उसके परिवार से मिलवाया। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की शर्मिला नामक महिला अपने पति के शक करने की आदत से तंग आकर अपने दो बच्चों जिनकी उम्र तक़रीबन 9 व 7 वर्ष थी, को लेकर घर छोड़कर चली गई थी। उक्त मामले में पंचकूला जिले के पिंजौर थाने में एफआईआर भी दर्ज थी। स्थानीय पुलिस द्वारा काफी कोशिश के बाद भी महिला व उसके बच्चों का कोई सुराग नहीं मिला था। केस पर कार्य करते हुए महिला को स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पंचकूला यूनिट ने नालागढ़, हिमाचल प्रदेश से सुरक्षित बरामद किया गया।

पति के शक करने से तंग आकर घर छोड़ दिया था, जनवरी में केस दिया था स्टेट क्राइम ब्रांच को
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया स्थानीय पुलिस द्वारा कोशिश करने के बाद भी महिला व उसके बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। इस मामले में पति द्वारा गुमशुदगी बाबत दिसम्बर 2018 में थाना पिंजौर, जिला पंचकूला में एफआईआर दर्ज करवाई। मामले की आगामी जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह आईपीएस ने केस को पंचकूला एएचटीयू इंचार्ज एसआई मुकेश रानी को जनवरी 2023 में सौंपा। एएचटीयू टीम ने साइबर सेल व सूत्रों के आधार पर महिला शर्मीला और उसके दोनों बच्चों को हिमाचल प्रदेश में ट्रेस कर लिया। टीम से बात करने के बाद महिला ने बताया की वह पति की शक करने की आदत से परेशान थी और इसीलिए अपने बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गई थी। टीम में शामिल एएसआई राजेश कुमार, मुख्य सिपाही दिनेश कुमार ने परिवार की काउंसलिंग की और तीनों को सकुशल परिवार के सुपुर्द किया।

महेन्दरगढ़ से लापता मूक बधिर बच्चा एक साल बाद मध्य प्रदेश से किया रेस्क्यू।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने एक महिला व उसके दोनों बच्चो को ट्रेस करने में सफलता हासिल की, जिसमें से एक पुत्र मूक व बधिर था जिसपर ₹15000 का इनाम भी था। उपरोक्त केस में महिला व एक बेटे को स्टेट क्राइम ब्रांच यूनिट ने भिवानी से रेस्क्यू किया। वहीँ अन्य गुमशुदा पुत्र जो मूक बधिर था, 16 वर्षीय अनुज (काल्पनिक नाम) को मध्य प्रदेश से रेस्क्यू कर, तीनों को 1 साल बाद परिवार से मिलाया। उपरोक्त केस में विदित रहे की 16 वर्षीय अनुज ना बोल सकता था और ना ही सुन सकता था, इसीलिए बच्चे को ट्रेस करने में पुलिस को काफी समस्या आ रही थी। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शिकायतकर्ता महेन्दरगढ़ निवासी राजेंद्र यादव ने स्थानीय थाने में मार्च 2022 में शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसकी भाभी शर्मीला अपने दो बेटों के साथ घर से कहीं चली गई है। शिकायतकर्ता अनुसार महिला मानसिक रूप से कमज़ोर थी। शिकायत अनुसार बच्चों की उम्र तक़रीबन 15 वर्ष और 13 वर्ष थी। जिसमें से बड़ा बेटा मूक बधिर है। स्थानीय पुलिस द्वारा काफी प्रयास किये गए लेकिन परिवार का कुछ पता ना चल सका। इसके बाद केस को स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने आगामी कार्रवाई करते हुए माँ व एक बेटे को भिवानी के आश्रम से ट्रेस कर लिया गया। हालांकि बड़े बेटे के बारे में पूछने पर उन्होंने असमर्थता जताई। केस के इंचार्ज एएसआई राजेश कुमार द्वारा बच्चे का फोटो अन्य प्रदेश के आश्रमों में भेजा गया और पूछताछ की गई। इसी दौरान उक्त मूक बधिर बच्चे के बारे में जानकारी विवेकानंद बाल गृह मुरैना मध्य प्रदेश से प्राप्त हुई। बच्चे से काउंसलिंग के दौरान के पता चला की वो दिल्ली से एक ट्रेन में बैठकर मध्य प्रदेश पहुँच गया था जहाँ से बच्चे को रेस्क्यू कर मुरैना के एक बाल गृह में रखा गया। पुलिस द्वारा सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद महिला व उसके दोनों बच्चों को सकुशल परिवार के हवाले किया गया।

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने ढूंढी 2 बेटियां, मिलवाया परिवार से।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट गुरुग्राम टीम ने 1 हफ्ते से लापता 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के परिवार को पश्चिम बंगाल से परिवार ढूंढ कर मिलवाया। इसके अतिरिक्त एक अन्य केस में गुरुग्राम यूनिट के इंचार्ज ए एस आई विनोद कुमार की टीम ने घुमन्तु परिवार से लापता हुई लड़की, जो की वर्तमान में गुरुग्राम के निजी आश्रम में रह रही थी, का परिवार उत्तर प्रदेश में ढूंढा और बच्ची को उसके परिवार से मिलवाया। स्टेट क्राइम ब्रांच की सभी यूनिट को निर्देश दिए गए है कि वह अपने क्षेत्राधिकारों के सभी आश्रमों में जाकर बच्चों की काउंसलिंग करें और उनके परिवार तक पहुँचाने का प्रयास करें।