अमृतसर।दशहरे की शाम 62 लोगों के ट्रेन से कटकर मरने से गुस्साए लोग तीसरे दिन भी ट्रैक पर प्रदर्शन करते रहे। पुलिस ने पथराव के बीच प्रदर्शनकारियों को रेलवे ट्रैक से खदेड़ा। हादसे के 40 घंटे बाद अमृतसर से ट्रेन सर्विस शुरू हो सकी।
आरती को नहीं पता कि पति-बेटा एक ही ताबूत में श्मशान भेजे जा चुके…
हादसे में घायल भागलपुर (बिहार) की 30 वर्षीय आरती का इलाज चल रहा है। लेकिन, उसका पति जितेंद्र और डेढ़ साल का बेटा शिवम अब जिंदा नहीं है। दूसरी ओर, प्रशासन की संवेदनहीनता देखिए कि पिता-पुत्र को एक ही ताबूत में दो दिन तक रखा गया। रविवार को दोनों का शव माॅर्चरी में रखवा दिया गया।
इस महिला को बताया जा रहा है कि सब ठीक-ठाक है
सोमवार को दोनों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। इधर, आरती को जब होश आता है तो बेटे और पति के बारे में ही पूछती है। उसकी नाजुक हालत को देखते हुए उसे बताया जाता है कि वह लोग ठीक हैं। दोनों से फिर मिलने की उम्मीद में वह आंखें बंद कर सो जाती है।
40 लोगों को धकेलकर बचाया, कंधा टूटा पर हिम्मत नहीं हारी
ये हैं बलजिंदर सिंह(45)। ये भी रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। इनकी नजर अपनी ओर आती ट्रेन पर पड़ी। बलजिंदर ने ट्रैक से लोगों को बाहर की तरफ धकेलना शुरू कर दिया। इस तरह मरने से बचे हरजीत व शिवपाल ने बताया कि बलजिंदर लोगों को बचाते-बचाते ट्रेन की टक्कर से अपना कंधा गंवा बैठे। पुलिस का कहना है कि बलजिंदर ने करीब 40 लोगों को धकेलकर बचाया।
हादसे में अपना कोई नहीं था, रात को ब्लड देने पहुंचीं 80 वर्षीय रजनी
ये रजनी मल्होत्रा हैं। 80 साल की हैं। इन्हें रात 8:30 बजे हादसे का पता चला। इन्होंने सोचा कि अस्पतालों में घायलों को खून की जरूरत पड़ेगी, इसलिए रात 11 बजे अस्पताल पहुंच गईं। ब्लड डोनेट की इच्छा जताई। लेकिन, ज्यादा उम्र की वजह से ये संभव नहीं हो पाया। फिर लोगों की सेवा में जुट गईं।
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