अगर भारत आज न्यूजीलैंड को आखिरी टी-20 में हरा देता है तो उनका ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड का ये लंबा दौरा सफल अंदाज में खत्म होगा। पिछले तीन महीने में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट और वनडे सीरीज, फिर न्यूजीलैंड में वनडे सीरीज जीती। सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में टी-20 का खराब मौसम की वजह से नतीजा नहीं निकल पाया। इन तमाम जीत में सबसे ऊपर तो बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज की जीत ही रहेगी, क्योंकि इस जीत का 71 साल से इंतजार था।
टीम इंडिया ने कई मैच बड़े अंतर से जीते
माना कि ऑस्ट्रेलिया अपनी पूरी ताकत के साथ नहीं खेल रहा था, लेकिन भारत के लिए ये टैलेंट या टेक्निक से ज्यादा मानसिक चुनौती की बात थी, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना कभी आसान नहीं होता। भारत के बारे में अच्छी बात ये रही कि उन्होंने कई मैच बड़े अंतर से जीते। वहीं, कई मैच ऐसे थे, जिनमें टीम कठिन परिस्थितियों में थी और खिलाड़ियों ने बिना घबराए टीम को मैच जिताया। इस तरह की जीत टीम की शारीरिक, मानसिक और रणनीतिक मजबूती को दर्शाती है।
वर्ल्ड कप के लिए कई खिलाड़ी दावेदार
रही बात वर्ल्ड कप की टीम की तो जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया गई थी तो मुश्किल से 4-5 खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप की टीम में स्थान तय नजर आ रहा था। अब ऐसे खिलाड़ियों की संख्या 12-13 हो गई है। हालांकि, अभी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैच की वनडे सीरीज बाकी है और उसके आधार पर कई समीकरण बदल भी सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में बेहतर प्लानिंग के साथ खेली भारतीय टीम
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में भारत की जीत की अहम वजह रही- अच्छी प्लानिंग। इन दौरों पर भी करीब-करीब वही खिलाड़ी गए थे, जो दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे पर गए थे, लेकिन इस बार टीम बेहतर प्लानिंग के साथ खेली, खासकर टेस्ट मैचों में। बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने परिस्थितियों के साथ बेहतर तरीके से और जल्दी सामंजस्य बैठाया। बल्लेबाजों ने गजब का धैर्य दिखाया।
टीम इंडिया जीत की आदत डालने की राह पर
टीम इंडिया यह समझ चुकी है कि अब महज अच्छा खेल दिखाना या एक-दो मैच जीतना काफी नहीं है, अब सीरीज जीतनी होगी। खेल में जीत एक आदत होती है। ये आदत तभी बनती है, जब खिलाड़ी इसे अपनाने की जिद पर अड़ जाएं। हम कह सकते हैं कि भारतीय टीम अच्छी टीम और चैम्पियन टीम के बीच की खाई को पाट रही है।
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