वैंकूवर. हुवावे की सीएफओ मेंग वांगझू (46) का अमेरिका प्रत्यर्पण हुआ तो उन्हें 30 साल तक की सजा हो सकती है। शुक्रवार की सुनवाई में मेंग पर लगे आरोपों का खुलासा हुआ। अमेरिकी वकीलों का कहना है कि मेंग ने ईरान की कंपनी से हुवावे के कारोबारी रिश्तों को छिपाया जबकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू थे। इस तरह अमेरिका में मेंग को इन आरोपों का सामना करना पड़ेगा कि उन्होंने साजिश रचकर वित्तीय संस्थानों से धोखाधड़ी की।
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मेंग के खिलाफ कनाडा में 22 अगस्त को ही गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। शुक्रवार को मेंग की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई। अगली सुनवाई सोमवार को होगी। मेंग की गिरफ्तारी 1 दिसंबर को हुई। अमेरिका की अपील पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
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मेंग की गिरफ्तारी पिछले शनिवार को हुई थी। उसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग जी-20 अर्जेंटीना में मुलाकात कर रहे थे। दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर 90 दिन टालने पर सहमति बनी थी। गुरुवार को मेंग की गिरफ्तारी की खबर सामने आई। चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए तुरंत रिहाई की मांग की थी।
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अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि ट्रम्प को मेंग की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी नहीं थी। उधर, हुवावे इस बात पर जोर दे रहा है कि गिरफ्तारी वारंट कई महीने पहले ही जारी हो गया था। यह कुछ मिनटों का फैसला नहीं था।
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मेंग के पिता रेन झेंगफेई हुवावे के चेयरमैन हैं। मेंग खुद भी कंपनी बोर्ड में वाइस चेयरपर्सन हैं। मेंग के पिता रेन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी हैं। वो 20 साल तक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में थे। बताया जाता है कि उन्होंने सेना के टेक्नोलॉजी डिवीजन में भी काम किया था। रेन ने 1987 में हुवावे की शुरुआत की थी। वो अपनी बेटी मेंग को उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार कर रहे हैं।
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हुवावे सैमसंग के बाद दुनिया की दूसरी बड़ी स्मार्टफोन कंपनी भी है। इसी साल हुवावे ने एपल को पीछे छोड़ा है। हुवावे से 1.8 लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं। यह 170 देशों में प्रोडक्ट बेचती है। पिछले साल इसका टर्नओवर 6.5 लाख करोड़ रुपए रहा था। चीन के लिए हुवावे इसलिए अहम है क्योंकि इससे तकनीक के मामले में अमेरिका और यूरोप पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी।