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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

हर साल सेप्सिस के 700 से 800 से अधिक रोगी उपचार के लिए आते हैं’: डॉ.ए.के. मंडल

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। जब संक्रमण के चलते शरीर के अपने टिश्यूज और अंगों को घाव होते हैं तो शरीर प्रतिक्रिया देता है, जिससे सेप्सिस उत्पन्न होता है। अगर इसकी जल्द पहचान ना की जाए और ना ही इसका उपचार करवाया जाए तो इससे लो ब्लड प्रेशर (शॉक), मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर और मौत तक हो सकती है। फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में इस रीजन से हर साल सेप्सिस के 700 से 800 से अधिक रोगी उपचार के लिए आते हैं। अमित कुमार मंडल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, स्लीप एंड क्रिटिकल केयर, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी ये जानकारी दी।उन्होंने कहा, दुनिया भर में, लगभग 27-30 मिलियन लोग प्रति वर्ष सेप्सिस का शिकार बनते हैं और इसके चलते हर साल 70,00,000 – 90,00,000 लोग मर जाते हैं (लगभग 1 मौत हर 3.5 सेकंड में)। इसके साथ ही एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध हालात को और मुश्किल बना रहा है और इससे इलाज और भी अधिक कठिन हो जाता है क्योंकि इसका उपचार प्रमुख तौर पर एंटीबायोटिक्स के साथ ही किया जाता है। सेप्सिस किसी को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह वर्ग, लिंग या आयु के बीच भेदभाव नहीं करता है। यह स्वस्थ व्यक्तियों को भी प्रभावित कर सकता है। ये किसी भी उम्र में अपना प्रभाव दिखा सकता है और कमजोर म्यूयन सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) और पुरानी बीमारियों वाले व्यक्ति इसका आसान शिकार बनते हैं। इसलिए, हमें जल्द से जल्द इसकी पहचान कर डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना चाहिए।.मंडल ने बताया कि ‘‘सेप्सिस एक इमरजेंसी की स्थिति है और इसे आक्रामक रूप से हृदय (दिल का दौरा) या न्यूरोलॉजिकल (स्ट्रोक) समस्याओं के रूप में माना जाना चाहिए। सेप्सिस विभिन्न रूप में सामने आ सकता है और इसके चलते डॉक्टरों को भी इसका डायग्नोस करना मुश्किल हो सकता है। यह ठंड लगने के साथ तेज बुखार, दिल की धडक़न तेज होना, सांस की दर में वृद्धि, भ्रम या परिवर्तित चेतना, आवाज का धीमा होना, लो ब्लडप्रेशर, यूरिन कम होना या ठंड लगना, चिपचिपी और पीली त्वचा की उपस्थिति पैदा कर सकता है। कई रोगियों में तेजी से रिकवरी के साथ रोग प्रक्रिया हल्की हो सकती है। लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्तियों में बीमारी गंभीर हो सकती है और आर्टिफिशियल वेंटिलेशन और डायलिसिस के साथ कई अंग समर्थन की आवश्यकता वाले अंग विफल हो सकते हैं। लो ब्लडप्रेशर वाले 40 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो सकती है, यहां तक कि सबसे बेस्ट मेडिकल केयर प्राप्त करने के बाद भी मरीज के लिए अपनी जान बचा पाना मुश्किल हो जाता है।आम लोगों में बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कीमती जीवन और आजीविका को बचाने के लिए एक बड़ी जरूरत है। जब भी आपको कोई संक्रमण हो और असामान्य लक्षण और चिन्ह दिखाई दें तो मदद लेंसेल्फ-मेडिकेट न करें – प्रोफेशनल सलाह लें,पर्याप्त पानी पिएं और पर्याप्त हाईड्रेशन बनाए रखें,एक परिवार के सदस्य के रूप में, मेडिकल टीम के साथ उपचार को लेकर की जाने वाली बातचीत में शामिल हों।