Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

शहीदों के परिजन बोले- भारतीय सेना ने बदला लिया, कलेजे को मिली ठंडक

0
275

अमृतसर। एक जनवरी 1983 को अमृतसर के अलकेड़ा गांव में जन्मे गुरमेल सिंह वतन के जांबाज सिपाही थे। इस जवान ने पराक्रम की एक ऐसी गाथा लिखी है जो बच्चे-बच्चे को कंठस्थ हो चुकी है। राजौरी में पाकिस्तान की कायराना हरकत के बाद शहीद हुए गुरमेल सिंह की वीरता पर पूरा गांव गौरवान्वित महसूस कर रहा है। गांव के ज्यादातर युवा सेना में भर्ती होकर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए आतुर हैं।
भारतीय सेना द्वारा अपने जवानों की शहादत का बदला लिए जाने की खबर पाकर गांव अलकेड़ा के लोगों के कलेजों में ठंडक पहुंची है। गांव के युवा हरप्रीत सिंह, सरबजीत सिंह व सिमरनजीत सिंह का कहना है कि खून का बदला खून ही होना चाहिए। गुरमेल ने अपने खून से पाकिस्तान के खिलाफ जंग का बिगुल फूंका है। भारत सरकार हमें एक मौका दे, आज ही पाकिस्तान को खून की दरिया में डुबो देंगे। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना ने अपने चार जवानों की शहादत का बदला तीन पाकिस्तानी जवानों को ढेर करके लिया है।
पिता ने कहा, पाक के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी
शहीद गुरमेल के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के जवानों को ढेर किया है। बेशक भारत ने गुरमेल सिंह के साथ शहीद हुए सभी जवानों की शहादत का बदला लिया है, पर यह कार्रवाई जारी रहनी चाहिए। पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी है। वह पीछे से वार करता है, हमारे सैनिकों को उन पर सामने से वार करने के ऑर्डर दिए जाएंं।
कुलजीत कौर शहीद पति की तस्वीर निहारती रहती हैं
शहीद की पत्नी कुलजीत कौर की आंखों के आंसू अब सूख चुके हैं। वह बस खुली आंखों से गुरमेल सिंह की तस्वीर को निहारती रहती है। आठ वर्षीय बेटी रिपनदीप कौर अनेकों बार पूछ चुकी है कि पापा कब आएंगे। रिपनदीप को मालूम नहीं कि पिता ने देश के लिए सर्वस्व अर्पण कर दिया है।
1 जनवरी को हुआ था जन्म, इसी दिन गुरुद्वारा साहिब में पड़ेगा भोग
खास बात यह है कि 34 वर्षीय गुरमेल सिंह के भोग की रस्म 1 जनवरी 2018 को रखी गई है। जिस तारीख को उनका जन्म हुआ था, उसी तारीख को उनकी आत्मिक शांति के लिए श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डाला जाएगा। गांव अलकेड़ा स्थित शहीद गुरमेल सिंह के घर के नजदीक स्थित गुरुद्वारा साहिब में यह रस्म पूरी की जाएगी। इस दौरान पंजाब के सरकार मंत्री, विधायक व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल होंगे।
गुरमेल सिंह के भीतर था एक किसान
शहीद गुरमेल सिंह में देशप्रेम का जज्बा इस कदर रचा-बसा था कि वह जब भी छुट्टी लेकर घर आता, देशभक्ति से परिपूर्ण गीत जरूर सुनता। इस जवान के भीतर एक किसान भी था। गुरमेल को अपने खेतों से खूब लगाव था। वह छुट्टी का ज्यादा समय खेतों में बिताता। शहीद के पिता तरसेम सिंह बताते हैं कि उसे गांव की मिट्टी से बहुत प्यार करता था। घर आते ही पूछता था- बापू पैलियां च की बीजेया है? (पापा- खेतों में क्या बोया है?)
गोली लगने के बाद साथियों से कुलदीप ने बोला था- मेरी मां को मत बताना, सह नहीं पाएगी 
मेरी मां को मत बताना कि मुझे गोली लग गई है। वह यह सदमा सहन नहीं कर पाएगी। वह वैसे भी ठीक नहीं रहती। ये शब्द पाकिस्तानी सेना की गोली से राजौरी के केरी सेक्टर में घायल होने वाले कुलदीप सिंह ने अंतिम समय में अपने साथी बलजिंदर सिंह को कहे।
बलजिंदर ने बताया कि कुलदीप सिंह अन्य साथियों व मेजर के साथ एलओसी पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। राजौरी के केरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की ओर से सीज फायर का उल्लंघन करते हुए फायरिंग कर दी थी। उस समय एलओसी पर पेट्रोलिंग कर रहे बठिंडा जिले के गांव कौरेआणा के कुलदीप सिंह को दो गोलियां लगी थीं। एक गोली कंधे पर तो दूसरी साइड पर लगी।
पहली गोली कंधे में लगकर दिल के पास से होती हुई बाहर निकल गई जबकि दूसरी गोली साइड पर लगी थी। वह गोली कुलदीप के अंदर ही कलेजे में अटक गई। उनको घायल हालत में अस्पताल लेकर जाया जा रहा था कि रास्ते में कुलदीप सिंह ने कहा कि उनको गोली लगने की सूचना उनके घर पर न पहुंचाई जाए क्योंकि उनकी मां की सेहत ठीक नहीं रहती और वह चिंता करेगी। दो ही तो गोलियां लगी हैं, ठीक हो जाऊंगा तो मैं घर में उनको मिल कर बताऊंगा।
बेटी को भी किया याद 
शहीद कुलदीप सिंह के साथी बलजिंदर सिंह ने बताया कि वह अपनी बेटी दमन को बहुत याद कर रहा था। अंतिम समय में उनको अपनी बेटी की चिंता सता रही थी। वह अकसर ही अपनी बेटी की बातें याद किया करते थे और हमारे साथ शेयर किया करते थे।