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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

शवों में गोलियों के निशान ऊपर से नीचे की तरफ यानी बैठे लोगों को मारीं गोलियां, स्पॉट भी बदला

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  • बहबलकलां और कोटकपूरा गोलीकांड में फाइल चार्जशीट में हुए अहम खुलासे…
  • दोनों घटनाक्रमों में सेल्फ डिफेंस की कहानी झूठी
  • कोटकपूरा गोलीकांड मामले में फरीदकोट कोर्ट में सुनवाई 12 जुलाई को

बठिंडा. बहबलकलां और कोटकपूरा गोलीकांड में जिन पुलिस अफसरों को जांच का जिम्मा सौंपा गया, उन्हाेंने आरोपी पुलिस अफसरों से मिलकर जांच की आड़ में सबूत मिटा दिए। घटनाक्रम का नक्शा तक बदल दिया। फायरिंग में इस्तेमाल हथियार अगले दिन मोगा पुलिस कोत में जमा करवाकर नए इश्यू करवाए गए। पोस्टमार्टम में शवों में गोलियों के निशान ऊपर से नीचे की तरफ थे यानी बैठे लोगों को गोलियां मारीं गई थी, फायरिंग स्पॉट भी बदला गया।

पोस्टमार्टम में मृतकों के शवों से निकली गोलियां तक टेंपर की गईं ताकि पता न चल सके कि गाेली किस राइफल से चली? मगर एसआईटी की जांच में मृतकों के पोस्टमार्टम में उनको लगी गोलियों की दिशा, जमा करवाए हथियारों की चालू रजिस्टरों की बजाए नए पर एंट्री और जिप्सी पर हुई फायरिंग की फाॅरेंसिक लैब की रिपोर्ट ने पूरी कहानी पलट दी।

बहबलकलां और कोटकपूरा गोलीकांड में पुलिस अफसरों को बचाने के लिए सेल्फ डिफेंस की झूठी कहानी रची गई। इसमें इस्तेमाल जिप्सी व पुलिसकर्मियों ने खुद कहानी की पोल खोल दी। एसआईटी द्वारा बहबलकलां गोलीकांड में 24 अप्रैल व कोटकपूरा गोलीकांड में 28 मई को फाइल चार्जशीट से खुलासा हुआ है। मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को सुनवाई होगी।

कागजों में जिप्सी को थाने में दिखाया असल में उसे कोटकपूरा ले गए थे

जिस जिप्सी पर फायरिंग हुई उसके ड्राइवर गुरनाम सिंह ने कोर्ट में बयान दिया कि इंस्पेक्टर प्रदीप जिप्सी को कोटकपूरा से फरीदकोट लेकर गया। शाम 7 बजे एक कोठी में लेकर गया। तब तक कोई फायर नहीं था। कोठी में 12 बोर के फायर मार सेल्फ डिफेंस की कहानी गढ़ी। 2 दिन जिप्सी एसएसपी की कोठी में रही। 16 अक्टूबर को इंस्पेक्टर प्रदीप ने कोटकपूरा थाने में लगाया। एसएचओ अमरजीत ने इसे 14 अक्टूबर को थाने में जब्त और एसआई दलजीत सिंह ने मालखाने में शाे किया।

बेअंत के शरीर से निकले एके 47 के बुलेट को किया डैमेज

चार्जशीट के मुताबिक पुलिस फायरिंग में घायल बेअंत सिंह के शरीर से निकला जैकेट बुलेट 7.62 एके 47 राइफल का है। पुलिस कर्मियों की एके 47 से मिलान के लिए लैब में भेजा तो डीफोर्मड और डैमेज बुलेट की रिपोर्ट मिली। बुलेट मैच नहीं हो पाया। इसकी अब दोबारा जांच के लिए 18 जनवरी 2019 को अदालत से स्वीकृति ली गई है।  

डैमेज कंट्रोल }चार्जशीट के मुताबिक बहबलकलां गोलीकांड में ऐसे मिटाए सबूत

स्पॉट गलत बताया – नक्शे में पुलिस ने फायरिंग स्पॉट रोड की बजाए हाईवे पर दिखाया
27 अक्टूबर 2015 को एफआईआर नंबर 129/130 में बाजखाना पुलिस ने बहबलकलां की वारदात का नक्शा बनाते समय फायरिंग की घटना लिंक रोड की बजाए मेन हाइवे पर दिखा दिया। इसमें पुलिस की अन्य गाड़ियों समेत पुलिस गोली से मारे गए कृष्ण भगवान, गुरजीत सिंह व घायल बेअंत सिंह का जिक्र ही नहीं किया। एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक धरना लिंक रोड पर हाइवे से 70 फुट पीछे था और जिस पुलिस जिप्सी पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से फायरिंग दिखाई गई थी, वह घटनास्थल से 350 मीटर की दूरी पर थी। इस तरह धरना ही गलत जगह पर दिखा दिया गया।

ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट में- एफआईआर में लिखा-प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, जबकि लोग बैठे थे
चार्जशीट में शामिल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक कृष्ण भगवान व गुरजीत सिंह के शव में गोलियां लगने का एंगल ऊपर से नीचे की तरफ था, जिससे पता चलता है कि इनके बैठे हुए को गोलियां मारी गई हैं। जबकि एफआईआर 129/15 में पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक गुरजीत सिंह के शव में से जो 7.62 एमएम का जैकेट बुलेट निकला, सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब की 15 जून 2018 की रिपोर्ट में साबित हो गया कि गोलियों के खोल को घिसाकर टैंपर किया गया, तांकि यह बुलेट मैच न हो कि किस राइफल से चला है।

पुलिस ने राइफल ही बदल दी, फायरिंग के बाद कोत में जमा करवाए हथियार

चार्जशीट के मुताबिक बहबलकलां फायरिंग के अगले दिन 15 अक्टूबर 2015 को एसएसपी मोगा ने उनके गनमैनों की एके 47 और 50-50 कारतूस मोगा पुलिस कोत में जमा करवा दिए और उन्हें नई एके 47 राइफल और कारतूस जारी करवा दिए। इनकी एंट्री भी नए रजिस्टर पर करवाई गई जबकि पुराना एंट्री रजिस्टर अभी भरा ही नहीं था और इसी पर 10 अगस्त 2018 तक इश्यू असले के इंदराज दर्ज होते रहे हैं। जल्दबाजी में नए हथियार जारी करवाए गए।

सेल्फ डिफेंस में जिप्सी पर 45 फीट से फायर दिखाए, जबकि वह वारदात से 350 फीट पर खड़ी थी
चार्जशीट के मुताबिक पुलिस ने फॉरेंसिक जांच में पुलिस जिप्सी पर फायरिंग 45 फीट की दूरी पर दिखाई, जबकि एसआईटी की जांच में वह वारदात से 350 फीट की दूरी पर थी। अब दोबारा जिप्सी की फॉरेंसिक जांच कर रिपोर्ट मांगी है ताकि पता चल सके कि जिप्सी पर कितनी दूरी से फायर लगा।

पुलिस अफसरों ने आत्मरक्षा की दी दलील
एसआईटी द्वारा 28 मई को फाइल चालान में कोटकपूरा फायरिंग केस में दर्ज एफआईआर नंबर 192 में उस समय के एसएचओ कोटकपूरा गुरदीप सिंह की उस रिपोर्ट को मनगढ़ंत बताया गया है जिसमें उसने पुलिसकर्मियों की तरफ से आत्मरक्षा के लिए विभिन्न वेपन से 10 राउंड चलाने की बात कही है। रिपोर्ट पर डीएसपी बलजीत सिंह ने साइन किए थे।

गोली चलाने वालों में किसी के पास वेपन नहीं, कोई मौके पर मौजूद नहीं

सआईटी के चालान व एसएसपी कोटकपूरा की 25 अप्रैल 2019 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिन पुलिसकर्मियों को एसएचओ ने फायरिंग करते दिखाया उन्होंने फायरिंग की ही नहीं। इनमें से किसी के पास वेपन नहीं था तो कोई मौके पर माैजूद नहीं था। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व असल आरोपियों को बचाने के लिए एसएचअाे ने मनगढ़ंत कहानी तैयार की। सीनियर अफसरों के बचाव में तैयार की गई कहानी की परतें अब एक-एक कर खुलने लगी हैं।

मनगढ़ंत कहानी रचकर की बचने की काेशिश
रिपोर्ट में कहा गया कि एसएचओ गुरदीप सिंह ने सेल्फ डिफेंस में पिस्टल से 2 राउंड, एएसआई बलवंत सिंह ने 2 राउंड, एएसआई जगदीप सिंह ने 2 राउंड, हेड कांस्टेबल गुरदविंदर सिंह ने एसएलआर से 2 राउंड, कांस्टेबल गुरप्रीत सिंह ने अपनी असाल्ट राइफल से एक राउंड, कांस्टेबल जंग सिंह ने एसएलआर से एक राउंड फायर किया। एसआईटी द्वारा पेश चार्जशीट के मुताबिक इनमें से पांच पुलिस कर्मचारियों ने एसएचओ की रिपोर्ट को मनगढ़ंत बताते हुए कोर्ट में 164 सीआरपीसी के तहत ब्यान दर्ज करवाए।

एसएसपी फरीदकोट की तरफ से एसआईटी के सामने 6 मार्च व 25 अप्रैल 2019 को पेश रिपोर्ट में एएसआई बलवंत सिंह ने कोई फायर नहीं किया था क्योंकि घटनाक्रम वाले दिन उसके पास कोई हथियार नहीं था। रिपोर्ट के मुताबिक कांस्टेबल गुरदविंदर सिंह घटनाक्रम के दिन थाने में संतरी की ड्यूटी पर था। उसके पास एसएलआर या अन्य कोई हथियार नहीं था। एएसआई जगदीप सिंह व कांस्टेबल जंग सिंह ने भी फायरिंग न करने के बयान दर्ज करवाए थे।