सं गीत का हर रस सभी को आकर्षित नहीं करता। सभी अपनी पसंद के अनुसार संगीत के अलग अलग रसों में आनंद ढुंढते हैं। मगर युवा पीढ़ी तो एकतरफा ही वेस्टर्न संगीत की अोर बढ़ रही है। और इसे फॉलो करने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हम असली धरोहर और फोक की मिठास को भूल रहे हैं। आज खुशी है कि हरियाणा में संगीत, नृत्य जैसी कलाओं को घर घर जगह मिल रही है मगर इसमें अभी भी फाेक दूर है। जरूरी है कि पेरेंट्स और स्कूल दोनों ही बच्चों की फाेक आर्ट में भागीदारी बढ़ाएं। इवेंट्स में ज्यादा से ज्यादा पार्टिसिपेट कराएं। जब केसरिया शब्द सुनने को आता है तो मस्तिष्क में राजस्थान की झलक मिल जाती है। अभी हरियाणा का फोक संघर्षरत है, क्योंकि उसे भी हरियाणा की झलक अपने शब्दों से पूरे भारत में दिखाना बाकी है। इसे युवा फोक संगीत में अपनी भागीदारी से संभव कर सकते हैं।
ऋषभ कड़वासरा म्यूजिक आर्टिस्ट, हिसार।
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