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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

वीआईपी रोड पर अस्पताल न सही डिस्पेंसरी तो बनाए स्वास्थ्य विभाग

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एक आैर लगातार शहर के हरेक एरिया में आबादी बढ़ रही है। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में शहर में 24 घंटे की इमरजेंसी सर्विस तक नहीं है। यहां वीआईपी रोड पर इस समय एक लाख करीब आबादी के लिए डिस्पेंसरी तक नहीं है। यहां रहने वाले साेनू सेठी ने स्वास्थ्य विभाग को लिखा कि यह बेहद निराशा की बात है कि यहां 24 घंटे इमरजेंसी सर्विस तक नहीं है। सेठी ने कहा कि मैं जीरकपुर में लोगांे की मदद के लिए एंबुलेंस चलाता हूं। यहां रोड एक्सीडेंट में घायलों के लिए सरकारी अस्पताल में फ़र्स्ट एड की भी व्यवस्था नहीं है।

ढकोली की सीएचसी भी 24 घंटे इमरजेंसी सेवा नहीं देती:

ढकोली स्थित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में पिछले महीने से ऑपरेशन थिएटर तो शुरू हुआ पर अभी यहां 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं नहीं हैं। गायनी ओपीडी के लिए ढकोली सीएचसी अच्छा काम कर रही है। यहां लोगों की मांग है कि 24 घंटे इमरजेंसी सर्विसेज भी शुरू हों। इसके साथ ही यहां डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ाई जाए। इस सीएचसी में 2 बजे तक मरीजों की काफी भीड़ रहती है। अगर 24 घंटे यहां सर्विसेज मिलें तो लोगों को पंचकूला, मोहाली या चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा।

टीकाकरण के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं लोग: लोगों ने कहा है कि बच्चों के टीकाकरण के लिए भी लोगों को प्राइवेट डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। इसलिए शहर के हरेक एरिया में डिस्पेंसरी बनी हों
ताकि इनमें बच्चों का टीकाकरण और मामूली बीमारी में इलाज
हो सके। एसएमओ डॉ. संगीता जैन ने कहा कि डेराबस्सी शहर में बड़े हॉस्पिटल की प्लानिंग की जा रही है।

लोगों ने कहा- प्राइवेट डिस्पेंसरी पर निर्भर रहना पड़ता है, सरकार करे इंतजाम…

हमारी मांग है कि जीरकपुर में हेल्थ सर्विसेज के लिए खासकर शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले एरिया वीआईपी रोड पर एक भी डिस्पेंसरी नहीं है। यहां करीब दो दर्जन अपार्टमेंट्स हैं। इनमें रहने वाले करीब एक लाख लोगों को प्राइवेट अस्पताल पर ही डिपेंड रहना पड़ रहा है। यहां एक अच्छी डिस्पेंसरी होनी चाहिए।

{साेनू सेठी

प्राइवेट हॉस्पिटल में पैसे खर्च करने पड़ते हैं…

मामूली बुखार में भी प्राइवेट अस्पताल तमाम टेस्ट करवाने के बाद 2 हजार तक का बिल बना देते हैं। जबकि कुछ लोगों की आमदन 20 हजार महीना से कम है। ऐसे में दवाई और प्राइवेट अस्पताल के चार्जेज हर परिवार नहीं उठा सकता है। पब्लिक के हित के लिए यहां पहले तो जीरकपुर में 100 बेड का अस्पताल बनना चाहिए। अगर अस्पताल नहीं बनता तो एक ऐसी डिस्पेंसरी इस एरिया में खोली जानी चाहिए जिसमें 5 बजे तक जनरल ओपीडी में मरीजों को देखा जा सके। इसमें गायनी, मेडिसिन व ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर तैनात हों। {रवि, निवासी वीआईपी रोड