चंडीगढ़। पंजाब सरकार अब विश्व बैंक के सहयोग से प्रदेश में पानी बचाएगी। इसके अलावा पराली जलाने की समस्या भी हल करने की दिशा में काम होगा। पराली जलाने से पंजाब सहित उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी हुई है। विश्व बैंक कृषि क्षेत्र में संसाधनों की उपयोगिता बढ़ाने के लिए पंजाब सरकार को सहयोग करने को तैयार हो गया है। इसके लिए बाकायदा दो हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट तैयार होना शुरू हो गया है। विश्व बैंक की मंजूरी के बाद पंजाब सरकार इसके तहत आने वाले प्रोजेक्टों को अंतिम रूप दे रही है।
2000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में जुटी पंजाब सरकार
विश्व बैंक ने कृषि क्षेत्र में पानी के अलावा पराली, बागवानी आदि में किसानों की इनपुट कास्ट कम करने के लिए पंजाब को सहयोग करने पर अपनी मंजूरी दे दी है। इसके लिए पंजाब सरकार को अपना प्रोजेक्ट बनाना है। यह प्रोजेक्ट करीब 2000 करोड़ रुपये का होगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार और विश्व बैंक एग्रीकल्चर सेक्टर के डायरेक्टर की बैठक हो चुकी है।
वह वाशिंगटन से भारत आए हुए थे। 2000 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत पंजाब सरकार पानी की उपयोगिता को 40 फीसद से बढ़ाकर 60 फीसद तक करना चाहती है क्योंकि पंजाब में अभी भी पानी की उपयोगिता कम है, यह व्यर्थ ज्यादा हो रहा है।
इसी प्रकार विश्व बैंक के ही सहयोग से पंजाब सरकार कृषि रकबे को कम कर हार्टीकल्चर (बागवानी) के रकबे को छह से बढ़ाकर 10 फीसद तक लेकर जाना चाहती है। विश्व बैंक और पंजाब सरकार के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में सबसे अहम मुद्दा फसलों के इनपुट कास्ट को लेकर उठा है। सरकार मान रही है कि मैकेनिज्म और वैज्ञानिक तरीके से खेती करके किसान अपनी इनपुट कास्ट को कम कर सकते हैं। पराली के निस्तारण को लेकर भी विश्व बैंक सहयोग करने को तैयार है जोकि पंजाब की एक बहुत बड़ी समस्या है।
वर्तमान सीजन में भी 20 मिलियन टन पराली हुई है जिसके निपटारे को लेकर पंजाब सरकार खुद को असहाय मान रही है। खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी यह बात स्वीकारी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अगले दो सप्ताह में पंजाब सरकार को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट को विश्व बैंक को सौंपना है।