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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

राहुल की ताजपोशी का दिखेगा पंजाब में भी असर, कैबिनेट में मिल सकती है करीबियों को जगह

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चंडीगढ़। राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर परिस्थितियां तो बदलेंगी ही, लेकिन पंजाब भी इससे अछूता नहीं रहने वाला है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी के संबंध समय के साथ बेशक मजबूत हुए हैं लेकिन पंजाब में लंबित कैबिनेट विस्तार में राहुल ‘फैक्टरÓ का असर पडऩा तय है। साथ ही राहुल की गुड बुक में शामिल नेताओं को संगठन में भी तरजीह मिलेगी।
प्रदेश में कैबिनेट का विस्तार राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद होना है। 17 दिसंबर को जालंधर, अमृतसर व पटियाला नगर निगम के चुनाव संपन्न हो जाएंगे। जिसके बाद भले ही लुधियाना नगर निगम के चुनाव होने हैं लेकिन साथ ही कैबिनेट विस्तार की दबी हुई फाइल भी खुल जाएगी। माना जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में राहुल के ‘आम आदमी के सिपाहीÓ को तरजीह दी जा सकती है।
कैबिनेट विस्तार में राहुल की गुड बुक में शामिल यूथ कांग्रेस  के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कुलजीत नागरा व विजय इंदर सिंगला मंत्री बनने की दौड़ में हैं। 2008 में जब राहुल ने ‘आम आदमी के सिपाहीÓ प्रोजेक्ट चलाया था तो पंजाब से पांच लोग लिए गए थे जिनमें उक्त तीनों ही नेता शामिल थे। दो अन्य में रवनीत बिïट्टू और सुखजिंदर डैनी थे। बिट्टू सांसद हैं तो डैनी पहली बार ही विधायक बने हैं।
राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा को भी बल मिलेगा क्योंकि कैप्टन अमरिंदर समेत बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद बाजवा का सपोर्ट राहुल गांधी  करते रहे। बाजवा जब भी कमजोर पड़े राहुल ने पंजाब आकर उन्हें ऑक्सीजन दिया। राहुल के अध्यक्ष बनने को लेकर बाजवा भी खासे आशान्वित हैं। इन दिनों वह प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर चल रहे हैं।
कैप्टन व राहुल के बीच अब संबंध सामान्य हो गए हैं। कैप्टन वर्ष 2019 के लिए राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहे हैं लेकिन राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद उनके लिए सोनिया गांधी के दरवाजे बंद हो जाएंगे। पूर्व में राहुल से सहमत न होने पर वह सोनिया तक अपनी पहुंच बनाकर स्थितियों को अपने अनुरूप कर लेते थे। हालांकि इस बात की संभावना न के बराबर है कि राहुल कैप्टन को तरजीह न दें क्योंकि प्रदेश में कैप्टन के कद का कांग्र्रेस के पास कोई नेता नहीं है और उन्हीं की अगुवाई में पंजाब में कांग्र्रेस दस साल बाद सत्ता में लौट सकी है।
राहुल के अध्यक्ष बनने को लेकर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और वित्तमंत्री मनप्रीत बादल भी खासे आशान्वित हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार के साथ-साथ संगठन में भी उनकी भूमिका बढ़ेगी। चूंकि इन दोनों ही नेताओं को राहुल गांधी ही पार्टी में लाए हैं और दोनों ही नेता उनकी गुड बुक में हैं।