कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्विट्जरलैंड के दावोस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण को लेकर कटाक्ष किया है. मंगलवार को जब पीएम मोदी स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) को संबोधित करते हुए भारत की आकर्षक तस्वीर खींच रहे थे, तब राहुल गांधी उन पर तंज कस रहे थे.
WEF में पीएम मोदी के भाषण के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ”डियर पीएम, स्विट्जरलैंड में स्वागत है! कृपया दावोस को बताइए कि भारत की एक फीसदी आबादी के पास 73 फीसदी संपत्ति क्यों हैं?” इसके साथ ही उन्होंने दावोस की एक गैर सरकारी संस्था ऑक्सफेम इंटरनेशनल द्वारा जारी नए सर्वे की जानकारी को भी पोस्ट किया है.
ऑक्सफेम सर्वे के मुताबिक भारत के सिर्फ एक फीसदी अमीरों के पास पिछले साल सृजित कुल संपदा का 73 फीसदी हिस्सा है. सर्वे में यह भी खुलासा हुआ था कि देश के महज एक फीसदी अमीरों के पास कुल संपत्ति का 58 फीसदी हिस्सा है. सर्वे के मुताबिक साल 2017 के दौरान भारत के एक फीसदी अमीरों की संपत्ति में 20.9 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. यह राशि साल 2017-18 के केंद्र सरकार के कुल बजट के बराबर है.
वहीं, विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि साल 1997 के बाद देश की GDP में छह गुना इजाफा हुआ है. साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसी हस्तियों का नाम लेने के साथ ही शास्त्रों का ज्ञान भी दिया.
उन्होंने कहा कि साल 1997 में भारत का GDP सिर्फ 400 अरब डॉलर से कुछ अधिक था. अब दो दशकों बाद यह करीब छह गुना हो चुका है. उस वर्ष इस फोरम का विषय ‘Building the Network Society’ था. आज 21 साल बाद टेक्नोलॉजी और डिजिटल युग की उपलब्धियों और प्राथमिकताओं को देखें, तो यह विषय सदियों पुराना जान पड़ता है.
उन्होंने कहा कि आज हम सिर्फ नेटवर्क सोसाइटी ही नहीं, बल्कि बिग डेटा, ऑर्टिफिसियल इंटेलीजेंस और कोबोट की दुनिया में हैं. साल 1997 में यूरो मुद्रा प्रचलित नहीं हुई थी और एशियाई आर्थिक संकट का कोई अता-पता नहीं था, ना ही ब्रेग्जिट के आसार थे. साल 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन के बारे में सुना था और हैरी पॉटर का नाम भी अनजाना था. तब शतरंज के खिलाड़ियों को कंप्यूटर से हारने का गंभीर खतरा नहीं था. तब साइबर स्पेस में गूगल का अवतार नहीं हुआ था.
पीएम मोदी ने कहा कि इस वर्ष फोरम का विषय ‘Creating a shared Future in a Fractured World’ है यानी दरारों से भरे विश्व में साझा भविष्य का निर्माण. नए-नए बदलावों से, नई-नई शक्तियों से आर्थिक क्षमता और राजनीतिक शक्ति का संतुलन बदल रहा है. इससे विश्व के स्वरुप में दूरगामी परिवर्तनों की छवि दिखाई दे रही है. विश्व के सामने शांति, स्थिरता और सुरक्षा को लेकर नई और गंभीर चुनौतियां है.
उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् यानी पूरी दुनिया एक परिवार है. हम सब एक परिवार की तरह बंधे हुए हैं. हमारी नीतियां एक साझा सूत्र से हमें जोड़ती हैं. वसुधैव कुटुम्बकम् की यह धारणा निश्चित तौर पर आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए और भी ज्यादा सार्थक है. हजारों साल पहले भारत में लिखे गए सबसे प्रमुख उपनिषद ‘इशोपनिषद’ की शुरुआत में हीतत्त्वद्रष्टा गुरु ने अपने शिष्यों से परिवर्तनशील जगत के बारे में कहा.