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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

राखी स्‍पेशल: एक खत… मेरे वीर जी के नाम

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सुनिए वीर जी, प्यार!

हर साल की तरह इस साल भी मैं आपको राखी बांधूंगी. इस साल भी आपने मेरे लिए कोई खास तोहफा या बहुत सारे पैसे देने का प्लान बनाया होगा. मैं भी आपके लिए रिटर्न गिफ्ट खरीदूंगी. लेकिन इस बार मैं कुछ और भी देना चाहती हूं, उन सारी यादों का पिटारा जो हमने साथ बांटी हैं.

मुझे याद है बचपन में जब मुझे डर लगता था तो वो आप थे जो मेरे सिरहाने बैठकर पूरी रात बिता दिया करते थे. क्लास में कोई लड़का तंग करता था तो अगले दिन उसकी शामत आ जाती थी. जब स्कूल से घर आती थी तो मम्मी नहीं, आप मिलते थे मुझे. खाना खाते हुए हमेशा “एक रोटी और आधी-आधी खाएंगे” कहकर ज्यादा खिला देते थे. मैं कभी दिन में नहीं सोती थी लेकिन आप 5 मिनट आंखें बंद करवाने के बहाने मुझे सुलाकर ही दम लेते थे. फन जोन से लेकर ठेले की चाट तक साथ ही गए हैं हम. आपकी साईकल से लेकर कार तक की पार्टनर रही हूं मैं. घुमक्कड़ की तरह यहां से वहां, “भाई वो कभी नहीं देखा मैंने” बोलकर ले जाती थी आपको. आज जब कोई पूछता है कि मैं रास्ते बताने में इतनी अच्छी कैसे हूं तो कहती हूं कि मेरे भाई ने सिखाया है. लोग कहते है कि कितनी स्ट्रांग हूं मैं, मुझे याद आती है आपकी वो बात “तू गलत नहीं है तो मुंह तोड़ आना, फिर देख लेंगे.”

आपके साथ खेलना और घूमना मेरा सबसे अच्छा वक्त होता था, लेकिन जब आपको जॉब के लिए बाहर जाना पड़ा तो वो आसान नहीं था मेरे लिए. कोई अपने ब्रेकअप पर भी इतना परेशान नहीं होता होगा जितना मैं हुई थी. रात को सोते हुए जब नींद टूट जाती थी तो आपसे फोन पर बात करके ही चैन आता था. एक जॉब के बाद दूसरी और ऐसे हमारे बीच डिस्टेंस बढ़ता ही चला गया. लेकिन जब भी मुझे जरूरत थी आप हमेशा वहीं थे. आपने मेरे अच्छे रिजल्ट को सेलिब्रेट किया और बतौर टीवी एंकर मेरे पहले लाइव की टीआरपी करने वाले भी आप ही थे. और तो और मेरे बुरे मार्क्स से लेकर बड़ी गलतियों को भी आप ही ने नजरअंदाज किया.


पापा सही कहते हैं मुझे किसी से इतना जुड़ाव नहीं है, क्योंकि मेरे बचपन से लेकर बड़े होने तक मैंने तो सिर्फ आपको ही साथ देखा है. सभी दोस्तों और परिवार के साथ बड़े होते हैं, मेरे लिए आप ही सबकुछ थे.


मैं फीलिंग्स बताने में हमेशा ही फ्लॉप रही हूं और ये भी आप ही से सीखा है. क्योंकि सॉरी बोलना हो या आई लव यू, बस एक-दूसरे को हग कर लेते थे हम. आज भी ज्यादा शब्द नहीं है मेरे पास. बस आपको बताना चाहती हूं कि कितने खास है आप मेरे लिए. आपने मां की तरह पाला है मुझे. सबके लिए उनके पापा हीरो होते हैं, मेरे लिए आप है. कोई पूछता है कि पहला प्यार कौन? तो लड़कों में मुझे सिर्फ आपका ही नाम पता है. मेरे ग्रेजुएट होने से लेकर आज इस मुकाम तक आपने ही मुझे मोटिवेट किया है. किसने सोचा था कि कांच केसामने डायलॉग बोलने वाली लड़की टीवी पर आकर अपना खुद का शॉ होस्ट करेगी. जयपुर जैसे छोटे से शहर से लेकर दिल्ली में अकेले रहने की हिम्मत आप ही से मिली है मुझे. जो अपने मेरे लिए किया उसके लिए थैंक यू तो बहुत छोटा लफ्ज है. और मैं कहूंगी भी नहीं क्योंकि मैं अब भी इन सभी चीजों पर अपना हक चाहती हूं.

हां थोड़ी दूर हो गए हैं हम लेकिन आज भी जो मेरे दिल के सबसे करीब है वो हो आप. और खुशी है मुझे ये कहते हुए कि ये चीज कभी नहीं बदलेगी.

कहने को तो भाई माता-पिता की एक और संतान है लेकिन एक बहन के लिए वो क्या-क्या बन सकता है, ये तो बहन का दिल ही जानता है. आज के समय में जहां जिंदगी की व्यस्तता के चलते पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पाते, वहां भाई-बहन उस कमी को बखूबी पूरा कर सकते हैं. इस रक्षा बंधन उन सभी भाईयों से विनती है कि अपनी बहन को उस प्यार का अहसास करवाएं. सपनों की उड़ान हो या घर बसाना, उसे आपसे दूर तो होना ही होगा लेकिन वो अकेली नहीं जाएगी. उसके साथ जाएगी आपकी दी हुई सही-गलत की समझ और मुश्किलों से लड़ने का जज़्बा. और इन सबसे परे आपका प्रेम जो आप दोनों को एक अटूट बंधन में बांधे रखेगा.