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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

यूवीएम ने कैपिटल ऑफ पंजाब डेवेलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट में संशोधन के लिए प्रशासन द्वारा जारी पब्लिक नोटिस को किया खारिज

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यूवीएम ने कैपिटल ऑफ पंजाब डेवेलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट में संशोधन के लिए प्रशासन द्वारा जारी पब्लिक नोटिस को किया खारिज
प्रशासन को एक्ट में संशोधन का नहीं अधिकार—— कैलाश जैन
गृह मंत्रालय तक पहुंचाया मामला

चंडीगढ़ 13 अप्रैल ।
शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी संगठन उद्योग व्यपार मण्डल चंडीगढ़ (यूवीएम) ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कैपिटल ऑफ पंजाब डेवेलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट 1952 में संशोधन करके बिल्डिंग वायलेशन की पेनल्टी को ₹500 से बढ़ा कर दो लाख रुपये तथा तत्पश्चात 20 रुपये प्रतिदिन से बढ़ा कर 8000 रुपये प्रतिदिन किए जाने की प्रपोजल हेतु जारी किए गए पब्लिक नोटिस को सिरे से खारिज कर दिया है तथा कहा है कि प्रशासन को ऐसा कोई संशोधन करने का अधिकार नहीं है ।
इस सम्बंध में यूवीएम की एक बैठक कैलाश चन्द जैन की अध्यक्षता में हुई जिसमे कैलाश जैन के अलावा सचिव नरेश जैन, चौधरी विजय पाल सांगवान, सुरेंदर सचदेवा, अमृतपाल सिंह पाली, राकेश मोहन शास्त्री,राकेश कुमार नीटा सहित बड़ी संख्या में दुकानदारों ने हिस्सा लिया।
बैठक में प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस को सिरे से खारिज किया गया और यूवीएम की तरफ से इस नोटिस के खिलाफ करने का फैसला किया।
बैठक के बाद यूवीएम के अध्यक्ष कैलाश चन्द जैन ने बताया कि उनकी तरफ से इस नोटिस के खिलाफ अपने ऑब्जेक्शन एतराज प्रशासन के पास फाइल कर दिए गए हैं तथा पत्र की प्रति केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर मंत्रालय के सभी अधिकारियों तक पहुंचा दी है। चंडीगढ़ के प्रशासक से भी मामले में दखल देने की अपील की गई है।
कैलाश जैन ने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जो पब्लिक नोटिस जारी किया गया है वह गैरकानूनी और असंवैधानिक है । प्रशासन को इस एक्ट में ऐसा कोई संशोधन करने का अधिकार नहीं है । इस एक्ट में संशोधन केवल संसद द्वारा ही किया जा सकता है प्रशासन द्वारा नहीं ।
कैलाश जैन का कहना है कि है कि प्रशासन द्वारा बिल्डिंग वायलेशंस और मिस यूज की पेनल्टी बिल्डिंग बायलॉज या चंडीगढ़ ईस्टेट रूल्स के अंतर्गत ली जाती है । चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ इस्टेट रूल्स 2007 के तहत बिल्डिंग वायलेशंस और मिसयूज़ की पेनल्टी काफी अधिक तय की थी जिसको हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया था तथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार ही व्यापारियों को राहत देने के बारे में एक कमेटी का गठन किया गया था जिसमे पैनल्टी कम करने का फैसला किया जाना था लेकिन प्रशासन ने व्यापारियों को राहत देने की दिशा में काम करने की बजाय एक्ट में ही संशोधन का नोटिस जारी कर दिया तथा एक्ट में अधिसूचित पैनल्टी को 400 गुना बढ़ाने की प्रपोजल बना कर पब्लिक नोटिस जारी कर दिया जो सरासर गलत है तथा असंवैधानिक है। किसी भी पेनल्टी में चालीस हजार प्रतिशत की बढ़ोतरी कहीं भी किसी भी तरह से भी तर्कसंगत नहीं हो सकती तथा किसी भी हालत में स्वीकार्य नही हो सकती।
कैलाश जैन ने मांग की है कि प्रशासन इस नोटिस को तुरंत वापस ले ।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन एक्ट में अधिसूचित पेनल्टी को बढवाना चाहता है तो वह तर्कसंगत बढ़ोतरी ( अधिकतम 100% तक हो सकती है) का प्रपोजल बनाकर केंद्र सरकार को भेजे। उस प्रपोजल के आधार पर प्रस्ताव संसद में संशोधन के लिए पेश किया जाएगा फिर फैसला संसद में होगा। इस प्रकार गैरकानूनी दबाव बनाकर शहर की जनता को परेशान न किया जाए । अगर प्रशासन ने इस नोटिस को वापस नहीं लिया तो लोगों को मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा।