नई दिल्ली. गुजरात से उत्तर भारतीयों के पलायन पर कांग्रेस और भाजपा ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को इस मुद्दे पर धर्म और जाति की राजनीति न करराजधर्म निभाने की सीख दी। उधर, भाजपाने हिंसाओं के लिए अल्पेश ठाकोर को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि वे राहुल के चहेतेहैं। कांग्रेस की हमेशा यही नीति रही है कि समाज बांटो, देश जलाओ, राजनीति करो और फिर चिल्लाओ।
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कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पार्टी लाइन से उठकर स्थिति को नियंत्रण में लाए। मोदी और रूपाणी को राजनीति छोड़कर राजधर्म निभाना चाहिए, जो 2002 के दंगों के वक्त उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बताया था।
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उन्होंने कहा- वक्त आ गया है कि मोदी को वाजपेयी की सलाह माननी चाहिए और धर्म, जाति और समुदाय के नाम पर देश को बांटने वाली राजनीति बंद करनी चाहिए। सरकार 24 घंटे में स्थिति को काबू में लाए।
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तिवारी ने कहा- मोदी गुजरात में हो रही हिंसा पर एक भी शब्द नहीं बोले। जबकि वे इतने सालों तक वहां के मुख्यमंत्री रहे। गुजरात का मॉडल पेश करके ही वे सत्ता में आए थे। मैं मोदी को चेतावनी देना चाहता हूं कि इस तरह की राजनीति के विनाशकारी परिणाम होंगे।
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संबित पात्रा ने कहा- गुजरात में अल्पेश ठाकोर ने हिंसा भड़काई। वे राहुल गांधी के चहेते हैं। कांग्रेस ने देश को बांटने वाली राजनीति की। पार्टी का उद्देश्य आग लगाने की, समाज को तोड़ने की और झूठ फैलाने की राजनीति करके राहुल को लॉन्च करने का है।
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उन्होंने कहा- गांधी परिवार सत्ता के लिए कुछ भी कर सकता है। इसके लिए अगर कांग्रेस पार्टी को देश का अहित भी करना पड़े तो उससे भी पीछे नहीं हटती।
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गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने ट्वीट कर राहुल से सवाल किया, “क्या राज्य में हिंसा उकसाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष अपने पार्टी के लोगों पर कार्रवाई करते हैं। कांग्रेस पहले तो हिंसा फैलाती है फिर राहुल इनकी निंदा करते हैं, क्या उन्हें कोई शर्म नहीं है।”
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गुजरात के साबरकांठा में 14 महीने की बच्ची से दुष्कर्म के आरोप में बिहार के युवक की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद से राज्य में कई जगहों पर गैर-गुजरातियों पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। 4 दिन में ऐसी 52 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
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अब तक लगभग 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 56 एफआईआर दर्ज की गईं हैं। पांच हजार गैर-गुजराती, खासतौर से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग, राज्य से पलायन कर चुके हैं। उत्तर भारतीय विकास परिषद ने दावा किया है कि गुजरात से पलायन करने वालों की संख्या 50 हजार है।