Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

मन्नत पूरी होने पर सौ साल में 12 हजार श्रद्धालुओं ने चढ़ाई जीभ

0
241

अंकित शर्मा,आंतरीमाताजी.आंतरीमाता मंदिर जहां श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं, मन्नत पूरी होने पर जीभ चढ़ाते हैं। इसमें नारी शक्ति भी पीछे नहीं है। हर साल करीब 16-17 महिलाएं देवी को जीभ चढ़ाती है। 101 साल में करीब 1616 महिलाएं मंदिर में जीभ चढ़ा चुकी हैं।

विक्रम संवत् 1327 में तत्कालीन रामपुरा स्टेट के राव सेवा-खीमाजी द्वारा 7333 रुपए की लागत से मंदिर का निर्माण करवाया था। इतिहासकार डॉ.पूरण सहगल ने ’चारण की बेटी’ पुस्तक में लिखा है आंतरी का मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना है। जगत जननी जगदम्बा दक्षिण दिशा से नदी के हनुमान घाट से मंदिर में आकर विराजमान हुई हैं। आज भी हनुमान घाट के पत्थर पर मां के वाहन का पदचिह्न अंकित है। जहां पूजा-अर्चना होती है तथा दूसरा पदचिह्न मंदिर पर अंकित है। देवी स्वयं प्रतिष्ठित हुई है और भैंसावरीमाता के नाम से भी जानी जाती है। गर्भगृह में दाईं ओर शेर की सवारी पर मां दुर्गा की दिव्य प्रतिमा है। मंदिर में श्रद्धालु दर्शन के लिएआते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मन्नत मांगने पर श्रद्धालु जीभ काटकर चढ़ाते हैं। यह परंपरा करीब 700 साल से चली आ रही है।

हर साल दोनों नवरात्रि में श्रद्धालु मंदिर आते हैं। 4 से 5 श्रद्धालु रोज जीभ चढ़ाते हैं। नवरात्रि में सामान्य तौर पर करीब 50-55 लोग अपनी जीभ देवी को चढ़ाते हैं। साल भर में आंकड़ा से 100 से 125 तक पहुंच जाता है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार करीब 101 साल में करीब 12625 श्रद्धालुओं (1616 महिलाएं भी शामिल) और 700 सौ साल में 87625 लोग जीभ चढ़ा चुके हैं। मंदिर के पुजारी भारतसिंह बताते जीभ चढ़ाने के बाद श्रद्धालु नौ दिन मंदिर परिसर में रहकर देवी के दर्शन करते हैं। नौदिन में कटी हुई जुबान आ जाती है और श्रद्धालु वापस लौट जाते हैं। हर साल यह क्रम बना रहता है। इस बार शारदीय नवरात्र शुरू होने के एक दिन पहले मंगलवार को श्रद्धालु पवनसिंह पिता नागूसिंह महागढ़ और गोपाल पिता रामेश्वर भाटी केलूखेड़ा ने जीभ चढ़ाई।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today

आंतरीमाता