2019 के आमचुनाव में 11 राज्यों की भूमिका अहम होगी। इसलिए कि देश के 29 राज्यों व सात केंद्रशासित प्रदेशों की 545 में से 342 लोकसभा सीटें इन्हीं 11 राज्यों में हैं। इनमें से पांच राज्यों, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 94 फीसदी से अधिक सीटें मिली हैं।
वहीं कांग्रेस को महज तीन फीसदी सीटें मिलीं। दक्षिण के पांच राज्यों व पश्चिम बंगाल में भाजपा की स्थिति उलट है। इन छह राज्यों में भाजपा को 13 फीसदी से कुछ ही अधिक सीटें मिलीं। इन राज्यों में कांग्रेस के पास भी इतनी ही सीटें हैं।लोकसभा चुनाव से जुड़ी अपनी विशेष शृंखला महाभारत-2019 में दैनिक भास्कर इन 11 राज्यों से ग्राउंड रिपोर्ट करने जा रहा है।
पाठकों को यह बताने के लिए कि वे पांच राज्य जहां भाजपा सर्वोच्च स्तर पर है, वहां 2019 के चुनाव को लेकर क्या चर्चाएं हैं। भाजपा यहां दोबारा कितनी सीटें जीत पाएगी? वहीं क्षेत्रीय पार्टियों के प्रभाव वाले दक्षिण के राज्यों और पश्चिम बंगाल, जहां भाजपा को बेहद कम सीटें मिली थीं, वहां पार्टी कितनी सीटें बढ़ा पाएगी?
इसी तरह कांग्रेस के लिए चुनौती यह होगी कि वह जिन पांच राज्यों में महज 3% सीटें जीत पाई है, वहां कितनी सीटें भाजपा से छीन सकेगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि गुजरात, राजस्थान में भाजपा ने सभी सीटें जीती थीं, जबकि मप्र, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में वह अबतक की सर्वाधिक सीटें जीत चुकी है।
इस लोकसभा चुनाव में पार्टी के वैसा ही प्रदर्शन दोहराने की संभावना कम है। खासकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठजोड़ होता है तो भाजपा की सीटें कम हो सकती हैं। इस नुकसान की भरपाई पार्टी दक्षिण के राज्यों और पश्चिम बंगाल से करना चाहेगी।
यहां कर्नाटक को छोड़ दें तो किसी भी राज्य में पार्टी की सीटों की संख्या दो से अधिक नहीं है। केरल में भाजपा अबतक खाता नहीं खोल पाई है। तमिलनाडु-तेलंगाना जैसे राज्यों में भी पार्टी एक-एक सीट ही जीत पाई है। तमिलनाडु में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए भाजपा सत्तारूढ़ एआईएडीएमके से गठजोड़ कर सकती है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पार्टी की कोशिश सत्तारूढ़ पार्टियों की एंटीइनकम्बेंसी से फायदा उठाने की होगी। जबकि पश्चिम बंगाल में वह अपने बूते ही सीटें बढ़ाने की सोच रही है। पार्टी के राज्य प्रभारी और महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय राज्य में 26 सीटें जीतने का दावा कर चुके हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में सीटें बढ़ने की उम्मीद है। गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी का जैसा प्रदर्शन रहा, उस लिहाज से लोकसभा चुनाव में यहां वो दहाई का आंकड़ा छूने की उम्मीद लगा रही है।
इधर, उत्तर प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन संभावित महागठबंधन में सीटों की हिस्सेदारी पर निर्भर करेगा। इस परिदृश्य से साफ होता है कि आने वाले चुनाव में 11 राज्यों की 342 सीटें गेमचेंजर साबित होंगी।आने वाले 11 सप्ताह भास्कर इन्हीं 11 राज्यों से सिलसिलेवार ग्राउंड रिपोर्ट देगा।
- भाजपा-कांग्रेस: उन राज्यों की स्थिति जहां भाजपा मजबूत और जहां कमजोर है
- इन 5 राज्यों में खोने का डर क्योंकि यहां 94% सीटें
राज्य | कुल सीटें | भाजपा | कांग्रेस |
उत्तरप्रदेश | 80 | 73 (दो सीटें अपना दल की थीं) | 2 |
राजस्थान | 25 | 25 | 0 |
गुजरात | 26 | 26 | 0 |
मध्य प्रदेश | 29 | 27 | 2 |
छत्तीसगढ़ | 11 | 10 | 1 |
प. बंगाल | 42 | 2 | 4 |
तमिलनाडु | 39 | 0 | 1 |
कर्नाटक | 28 | 17 | 9 |
आंध्रप्रदेश | 25 | 2 | 0 |
तेलंगाना | 17 | 1 | 2 |
केरल | 20 | 0 | 8 |
नोटः पार्टियों की सीटें लोकसभा चुनाव-2014 के परिणाम के अनुसार हैं। इसमें उपचुनाव शामिल नहीं हैं।
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