चंडीगढ़,सुनीताशास्त्री : मोहाली, कोविड-19 हालांकि आमतौर पर फेफड़ों का संक्रमण माना जाता है, पर यह पाया गया है की कोविड-19 के कारण रक्त के क्लॉट बन सकते हैंं जो गंभीर स्ट्रोक का कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ या बिना लक्षणों वाले लोगों में व किसी भी उम्र के रोगियों में यह हो सकता है। हल्के लक्षण वाले 30 वर्ष की उम्र के लोग भी स्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं।आईवी अस्पताल, मोहाली में कंसल्टेंट-न्यूरोलॉजी, डॉ स्वाती गर्ग ने एक वर्चुअल स्वास्थ्य सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सीटी/एमआरआई स्कैनिंग के साथ ब्रेन को स्कैन करके स्ट्रोक की पुष्टि की जा सकती है। यह गंभीर विकलांगता और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। स्ट्रोक यूनिट वाले अस्पतालों में उन्नत देखभाल प्रदान की जा सकती है। यदि स्ट्रोक ब्रेन में क्लॉट के कारण होता है, तो क्लॉट या तो 4.5 घंटे के भीतर इंजेक्शन दवाओं (थ्रोम्बोलिसिस) के साथ डिज़ाल्व किया जा सकता है या इसे विशेष माइक्रो-कैथेटर्स (मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी) का उपयोग करके हटाया जा सकता है।यदि ब्रेन हेमरेज के कारण स्ट्रोक होता है, तो विशिष्ट मामलों में सर्जरी की जा सकती है। डॉ स्वाति ने बताया कि शुगर और ब्लड प्रेशर के नियंत्रण से स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में समय पर इलाज में फ़ास्ट (स्न्रस्ञ्ज) ऐक्शॅन को विस्तार पूर्वक समझाते हुए उन्होंने कहा कि ‘एफ ’ से फेस (मुख) का टेढ़ा होना, ‘ए’ से आम्र्स (बाजुओं) का गिर जाना, हाथ न उठा पाना, ‘एस’ से स्पीच या आवाज का लडख़ड़ाना, ‘टी’ से टाइम या यह समय है तुरंत चिकित्सकीय मदद लेने का, और मरीज को जल्द से जल्द स्ट्रोक सेण्टर वाले हॉस्पिटल में ले जाने का ।डॉ स्वाती ने बताया कि स्ट्रोक सेण्टर वाले हॉस्पिटल्स की हमें पहचान कर के रखने चाहिए जिसमें सी टी स्कैन एवं एम आर आई की मशीन उपलब्ध हों, न्यूरोलॉजिस्ट एवं न्यूरोसर्जन उपलब्ध हों व ब्लड बैंक की सुविधा हो । ऐसे हॉस्पिटल में मरीज को ले जाना चाहिए या एम्बुलेंस के लिए कॉल कर मदद लेनी चाहिए।
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020