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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

प्राचीन कला केन्द्र की34 वैबबैठक मेंपुणे की देबवर्णा बासुका समधुर गायन

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चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री :प्राचीन कलाकेन्द्र की 34 वैबबैठक कासीधा प्रसारण केन्द्र केसोशल मीडिया प्लेटफार्म यूटयूब,फेसबुक एवं टविटरपेज पर कियागया ।देबवर्णा युवाएवं प्रतिभाशाली शास्त्रीय गायिकाहै । इन्होंने संगीतकी शिक्षा विदुषीआरती अंकालीकर जकेकरएवं पंडित उल्हासकशालकर से प्राप्त कीहै । पुणेविश्वविद्यालयसे संगीत मास्टरकी डिग्री करनेवाली देबवर्णा आजपीएचडी कर रहीहै। देबवर्णा देशके विभिन्न शहरोंमें अपनी प्रस्तुतियों सेसंगीत प्रेमियों केदिलों में जगहबना चुकी है।आज के कार्यक्रम कीशुरूआत देबवर्णा नेराग मारू बिहागसे की ।पारम्परिक आलाप के पश्चातविलम्बित एक ताल सेसजी बंदिश जिसकेबोल थे ‘‘अबमैं यूंहि जानू’’ पेश की ।उपरांत इन्होंने द्रुतताल में निबद्धआड़ा तीन तालकी रचना ‘‘मोरेनयनवा’’ पेश की। इसके पश्चातएक ताल सेसजा तराना पेशकरके देबवर्णा नेअपनी सधी हुईगायकी का परिचयदिया । कार्यक्रम केअंत में देबवर्णा नेजात ताल मेंनिबद्ध ठुमरी ‘‘बसीयामोहे बुलाए’’ पेशकी । इनकेसाथ संगत कलाकारों मेसुदीप चक्रबर्ती नेतबले पर एवंबरनाली बासु नेहारमोनियम पर संगत की।