पुणे में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा के मामले में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू छात्र उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुणे के दक्कन पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक दोनों ने भड़काऊ भाषण दिए थे जिसके चलते कार्यक्रम के दौरान दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ा और हिंसा हुई.
बता दें कि जिग्नेश मेवाणी ने रविवार को कहा था कि सभी को भीमा-कोरेगांव की लड़ाई से प्रेरणा लेनी चाहिए और बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ लड़ाई करनी चाहिए. मेवाणी ने बीजेपी और संघ परिवार को ‘नया पेशवा’ बताया था.
क्या है मामला
भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था.
पुलिस के मुताबिक, जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं. हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई. इसके बाद पथराव शुरू हुआ. हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है. हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चला है. पुलिस ने घटना के बाद कुछ समय के लिये पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर यातायात रोक दिया.