फाजिल्का। सीमा पार पाकिस्तान की ओर सतलुज के बहाव को रोकने के कारण सीमावर्ती गांवों के लिए मुसीबत पैदा हो गई है। गांव पक्का चिश्ती को सबसे अधिक खमियाजा भुगतना पड़ा है। पानी जमा होने के कारण यहां किसानों की 300 एकड़ फसल खराब हो गई है। प्रभावित किसानों ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर जल्द से जल्द उनकी जमीनों से सेम का पानी निकालने और खराब फसलों का मुआवजा देने की गुहार लगाई है।
पंजाब के मालवा क्षेत्र के कई शहरों का गंदा पानी फाजिल्का क्षेत्र में असपाल ड्रेन के जरिये बहाया जाता है। इस ड्रेन का गंदा पानी सतलुज दरिया की शाखा में डाला जाता है और यह पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के साथ बह जाता है, लेकिन अब पाकिस्तान ने इस पानी को को बहने से रोक दिया है। इस कारण यह पानी भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में फैलना शुरू हो गया है।
सरहदी गांव पक्का चिश्ती में सेम की समस्या भी पैदा हो गई है। इससे 300 एकड़ फसल सेम के कारण खराब हो गई है। पाकिस्तान दूषित पानी इस ड्रेन में फेंके जाने से इतना सख्त रवैया अपनाए हुए है कि भारत सरकार द्वारा आइडब्ल्यूटी (इंडस वाटर ट्रीटी) की बैठक में यह विवाद पहुंचने के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी ओर से बांध खोलने से इन्कार कर दिया है। इससे स्थिति ये पैदा हो चुकी है कि भारत सरकार को गांव पक्का चिश्ती में सेम की स्थिति से निपटने के लिए सेमनाले में सीवरेज का पानी फेंकना बंद करने के लिए सख्त नीति बनानी पड़ेगी।
जिला कृषि अधिकारी बेअंत सिंह का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से पानी को रोकने से इलाके के सरहदी किसानों को नुकसान पहुंचा है। उच्च स्तरीय विशेष टीम के जरिए सरहदी पटी के रकबे मुआयना किया जा चुका है। किसानों को सेम की समस्या से निजात दिलाने के लिए कृषि विभाग केंद्र सरकार के सहयोग से हल निकालने की कोशिश कर रहा है।