पठानकोट । दो साल पहले पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में शहादत का जाम पीने वाले शहीदों के परिजनों के जख्म अब तक नहीं भर पाए हैं। झंडा गुज्जरा के शहीद कैप्टन फतेह सिंह व गांव चक्कशरीफ के शहीद हवलदार कुलवंत सिंह के परिजनों को इस बात का काफी मलाल है।
नववर्ष की पूर्व संध्या पर शहीद कैप्टन फतेह सिंह की पत्नी शोभा ठाकुर ने नम आंखों से बताया कि उनके पति के शहादत के मौके पर तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल व उस समय के सेना प्रमुख जनरल दलबीर सुहाग ने मुलाकात कर हर समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करने का वचन दिया था।
उस समय की पंजाब सरकार ने उनके पति की याद में एक यादगारी गेट, स्कूल का नाम उनके शहीद पति के नाम पर रखने व उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने का भरोसा भी दिया था। मगर पति की शहादत के दो साल बाद भी सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया। यहां तक कि पति के शहीद होने के बाद उनकी गाड़ी को अपने नाम पर करवाने के लिए उन्हें आठ महीने तक डीटीओ कार्यालय के चक्कर लगाने पड़े।
शहीद हवलदार कुलवंत सिंह की पत्नी हरभजन कौर ने कहा कि सरकार ने उनके बेटे को सरकारी नौकरी देने के साथ गांव में उनके पति की याद में यादगारी गेट, स्कूल का नाम उनके पति के नाम पर रखने और उनके घर को जाते कच्चे रास्ते को पक्का करने की घोषणा की थी, मगर सभी घोषणाएं कागजों में दफन होकर रह गईं। शहीदों की दोनों पत्नियों ने सजल नेत्रों से बताया कि नया साल देशवासियों के लिए खुशियां लेकर आता है, लेकिन इस दिन उनके जख्म और भी हरे हो जाते है, उनके पति परिवार को नए साल की मुबारक देकर ड्यूटी पर गए थे, मगर वह तिरंगे में लिपटे हुए घर पहुंचे। आज भी उनकी आंखें उनका राह निहारती हैं।
सीमा पर तैनात सैनिकों के मनोबल पर पड़ेगा असर: कुंवर विक्की
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि जिन शहीदों ने हमारे आने वाले कल के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया, उनकी शहादत के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके परिजन अपने अधिकार लेने के लिए आज भी सरकारी कार्यालयों में धक्के खा रहे हैं, इससे बढ़कर देश का दुर्भाग्य और शहीदों का अपमान क्या हो सकता है। भविष्य में कोई भी मां अपने बच्चों को सेना में भेजने से पहले कई बार सोचेगी, जिसका असर सीमा पर तैनात हमारे जांबाज सैनिकों के मनोबल पर पड़ेगा।
इकागर सिंह को नहीं मिला शहीद का दर्जा
31 दिसंबर की रात सीमावर्ती क्षेत्र के गांव भनवाल के टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह की आतंकियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद आज तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया। उसके परिवार ने बताया कि तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने उनके परिवार से वादा भी किया था, जो दो साल पूरा होने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया। मृतक टैक्सी चालक के भाई सतनाम सिंह, माता दिलीप और पिता प्रीतम सिंह ने बताया कि दिसंबर की उस रात उनका बेटा घर से टैक्सी लेकर अपने रिश्तेदार के घर गया था।
एक जनवरी कि सुबह उसका शव रावी दरिया के निकट झाडिय़ों में बुरी तरह कटा हुआ मिला था। आतंकियों ने एकागर के शरीर पर बुरी तरह से तीखे हथियारों से वार किया हुआ था। मृतक टैक्सी चालक के भाई सतनाम सिंह ने बताया कि सरकार ने उनके बेटे को शहीद का दर्जा देने का एलान करते हुए शहीदी गेट और स्कूल का नाम उसके नाम पर रखने का एलान किया था। दोनों ही वादे आज भी अधूरे हैं।
एयरफोर्स दीवार के आसपास देखते ही पर गोली मारने के आदेश
दो जनवरी की अल सुबह एयरफोर्स स्टेशन पर हुए आतंकी हमले के दो साल बाद एयरफोर्स के आसपास सुरक्षा को काफी कड़ा कर दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर एयरफोर्स दीवार के आसपास किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए जा चुके हैं। उसके अलावा एयरफोर्स के अंदर माचिस तक ले जाने तक रोक लगा दी गई है। आतंकी हमले के बाद हालांकि जिला प्रशासन ने एयरबेस के साथ लगते क्षेत्र में किसी भी नई इमारत पर पूर्ण रोक लगाई थी, लेकिन यह आदेश पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। लोगों ने वहां निर्माण करना शुरू कर दिया है।
2 जनवरी 2016 को अल सुबह 2.50 बजे हुआ था आतंकी हमला
2 जनवरी 2016 को अल सुबह करीब 2.50 बजे 6 आतंकी सेना की वर्दी में एयरफोर्स बेस में दीवार फांदकर दाखिल हुए थे। सबसे पहले उन्होंने गेट पर ग्रेनेड फेंके थे। 2:55 बजे फायङ्क्षरग शुरू की थी, जिसकी सुरक्षा बलों ने जवाब दिया था। 4:40 बजे तक चली गोलाबारी में एक आतंकी को मार गिराया था और दो जवान भी शहीद हो गए थे। इसके बाद एनएसजी ने मोर्चा संभाल लिया और 5:25 पर दूसरा आतंकी ढेर कर दिया। सुबह 9:20 पर आतंकियों और सेना के बीच फायङ्क्षरग थमी गई।
11:45 बजे एयरफोर्स बेस के भीतर फिर से फायङ्क्षरग शुरू हो गई। 12:40 बजे सेना ने ड्रोन व हेलीकॉप्टर के जरिये सर्च अभियान शुरू किया। इसके बाद तीन दिन तक लगातार फायरिंग चलती रही। ये आतंकी एयरबेस की बैक साइड स्थित नलवा नाला से एयरबेस में घुसे थे। यही से वह एयरबेस के टेक्निकल एरिया मे घुसने की कोशिश कर रहे थे। पर भारतीय जवानों ने उन्हें रोक लिया और तीन दिन तक चले अभियान में सभी को मार गिराया।
इन सात जवानों ने पाई थी शहादत
-लेफ्टिनेट कर्नल निरंजन पी कुमार निवासी (पलक्कड़) केरल
-सूबेदार फतेह सिंह पुत्र सरदार सिंह निवासी झंडा लुबाना जिला गुरदासपुर
-हवलदार कुलवंत सिंह पुत्र दयाल सिंह, काहनूवान जिला गुरदासपुर
-कांस्टेबल जगदीश सिंह निवासी चंबा हिमाचल प्रदेश
-कांस्टेबल संजीवन कुमार शाहपुर तहसील के गांव सिहुआं
-कांस्टेबल गुरसेवक सिंह निवासी गांव गरनाला जिला अंबाला, हरियाणा
-मूलराज निवासी चंदला जिला जक्ख, जेएंडके
-सूबेदार फतेह सिंह पुत्र सरदार सिंह निवासी झंडा लुबाना जिला गुरदासपुर
-हवलदार कुलवंत सिंह पुत्र दयाल सिंह, काहनूवान जिला गुरदासपुर
-कांस्टेबल जगदीश सिंह निवासी चंबा हिमाचल प्रदेश
-कांस्टेबल संजीवन कुमार शाहपुर तहसील के गांव सिहुआं
-कांस्टेबल गुरसेवक सिंह निवासी गांव गरनाला जिला अंबाला, हरियाणा
-मूलराज निवासी चंदला जिला जक्ख, जेएंडके
सबसे लंबी अवधि तक चली थी मुठभेड़
पठानकोट में आतंकियों से निपटने के लिए दो जनवरी की सुबह करीब तीन बजे से शुरू हुआ सैन्य अभियान भारतीय सेना द्वारा सबसे लंबी अवधि तक चलाया जाने वाला अभियान बना था। लगभग 72 घंटे तक चले इस अभियान में सात सैनिकों ने शहादत का जाम पीया था। 6 आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। इससे पहले सांसद हमला 45 मिनट, अक्षरधाम मंदिर हमला 14 घंटे, मुंबई आतंकी हमला 60 घंटे, गुरदासपुर हमला 12 घंटा चला था।
लेजर बीम से बॉर्डर पर सुरक्षा, सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ाई सुरक्षा
पठानकोट एयरबेस व दीनानगर थाने पर हुए आंतकी हमले के बाद पुलिस ने दोनों सीमावर्ती जिलों पठानकोट व गुरदासपुर में सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस व बीसएसएफ ने भी ऐसे प्वाइंट ढूंढे हैं जहां से आतंकी व संदिग्ध लोग सीमा पार कर भारत में प्रवेश करते थे। बॉर्डर की सुरक्षा के लिए कंटीली तारों के पास लेजर बीम लगाई गई है, जिसकी हद में आने पर आसानी से मौत हो जाती है। इसके अलावा बीएसएफ हैंड थर्मल इमेजर की सहायता से रात्रि को सीमा पर सुरक्षा कर रही है।
हमले के बाद पठानकोट पुलिस को एक और कंपनी मिली है। उसमें से आधे मुलाजिम शहर के संवेदनशील स्थलों पर लगाए गए है। बाकियों को बॉर्डर पर भेजा गया है। स्वॉट कमांडों सहित क्विक एक्शन टीमें भी गठित की गई है। एसएसपी विवेकशील सोनी ने बताया कि नरोट जैमल सिंह के इलाकों में एसपी आपरेशन व पुलिस टीमें लगातार नजर बनाए रखती हैं। पीसीआर की दो स्पेशल टीमें रोज गश्त करती हैं। नए साल को लेकर भी पूरे जिले में नाकाबंदी कर दी गई है।
बख्तरबंद गाड़ियों का सुरक्षा कवच
पठानकोट हमले की दूसरी बरसी पर सतर्क जिला पुलिस ने जगह-जगह पर नाके लगाकर अलर्ट जारी कर दिया है। मामून व एयरबेस स्टेशन के आसपास कड़ी नाकाबंदी के अलावा गांव करोली के साथ लगते जंगल में 31 दिसंबर की शाम से ही बख्तरबंद गाडिय़ां लगाकर जवानों की तैनाती कर दी गई है। जम्मू-कश्मीर से पंजाब की तरफ आने वाले रास्तों वाया बमियाल व माधोपुर के अलावा हिमाचल प्रदेश के चंबा की तरफ निकलने वाले रास्तों पर भी चौकसी बढ़ा दी है। किसी संदिग्ध के दिखने पर तत्काल उसे हिरासत में लेने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। सात जनवरी तक सभी पुलिस अफसरों व जवानों के अवकाश भी रद कर दिए गए हैं।