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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

नोटबंदी का कभी समर्थन नहीं किया, नुकसान को लेकर चेताया था: राजन

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भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि उन्होंने कभी बहुचर्चित नोटबंदी का समर्थन नहीं किया बल्कि उन्होंने तो इसके संभावित नुकसानों के प्रति सरकार को आगाह किया था. राजन ने अपनी पुस्तक आय डू वाट आय डू: ऑन रिफार्म्स रिटोरिक एंड रिजॉल्व में यह खुलासा किया है.
इसके अनुसार फरवरी 2016 में जब सरकार ने 500 रुपये व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर करने के बारे में उनकी राय मांगी तो वे रिजर्व बैंक के गवर्नर थे. राजन का यह बयान उन दावों के लिहाज से महत्वपूर्ण है जिनके अनुसार नोटबंदी के उस अप्रत्याशित कदम की तैयारियां बहुत समय पहले से ही चल रही थी जिसकी घोषणा आठ नवंबर 2016 की रात की गई.
राजन ने लिखा है, मुझसे सरकार ने फरवरी 2016 में नोटबंदी पर दृष्टिकोण मांगा जो मैंने मौखिक दिया था. दीर्घकालिक स्तर पर इसके फायदे हो सकते हैं पर मैंने महसूस किया कि संभावित अल्पकालिक आर्थकि नुकसान दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ सकते हैं. इसके मुख्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के संभवत: बेहतर विकल्प होंगे.
राजन ने बताया कि उन्होंने सरकार को एक नोट दिया था जिसमें नोटबंदी के संभावित नुकसान और फायदे बताये गये थे तथा समान उद्देश्यों को प्राप्त करने के वैकल्पिक तरीके बताये गये थे. उन्होंने आगे कहा, यदि सरकार फिर भी नोटबंदी की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है तो इस स्थिति में नोट में इसकी आवश्यक तैयारियों और इसमें लगने वाले समय का भी ब्यौरा दिया था.
रिजर्व बैंक ने अपर्याप्त तैयारी की स्थिति में परिणामों के बारे में भी बताया था. राजन के अनुसार, आरबीआई ने बिना पूरी तैयारी के नोटबंदी करने के परिणामों के प्रति भी सरकार को आगाह किया था. उल्लेखनीय है कि राजन चार सितंबर को अपने पद से हटे और उसके दो महीने में ही सरकार ने 15.44 लाख करोड़ नोटों को अवैध घोषित कर दिया.
सरकार के इस कदम को भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ बड़ी चोट करार दिया गया था और उम्मीद की जा रही थी कि कम से कम एक तिहाई नोट शायद वापस नहीं आएं.हालांकि केंद्रीय बैंक ने पिछले सप्ताह अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि इस तरह की 99 फीसदी मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में लौट आई. उन्होंने कहा है कि सरकार ने इन मुद्दों पर विचार करने के लिए इसके बाद एक समिति गठित की थी. मुद्रा संबंधी मामलों को देखने वाले डिप्टी गवर्नर इसकी सभी बैठकों में शामिल हुए थे और मेरे कार्यकाल में कभी भी रिजर्व बैंक को नोटबंदी पर निर्णय लेने के लिए नहीं कहा गया था.