चंडीगढ़ (ललित कुमार).हरियाणा के लगभग 7200 मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को प्री नर्सरी कक्षाओं में 25 फीसदी मुफ्त दाखिले के मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को अपना पक्ष रखने का आखिरी मौका दिया है। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी के लिए सुनवाई तय करते हुए कहा कि सरकार अपने पक्ष रखे नहीं तो कोर्ट अपना फैसला दे देगा।
जस्टिस आरके जैन और जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने कहा कि हरियाणा सरकार की तरफ से पैरवी के लिए एडीशनल एडवोकेट जनरल पिछली सुनवाई पर भी कोर्ट में पेश नहीं हुए और इस बार फिर यही हालत रही। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई पर सरकार की तरफ से पैरवी नहीं की गई तो याची को सुन कर फैसला दे दिया जाएगा। अगस्त 2015 में हरियाणा सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए यह व्यवस्था कर दी थी कि नर्सरी से पहली कक्षा तक मुफ्त दाखिला के लिए पहले बच्चे नजदीकी सरकारी स्कूल में जाएंगे, अगर वहां सीटें खाली नहीं होंगी तो फिर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे। सरकार के इस फैसले को भिवानी निवासी जानवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे रखी है।
हरियाणा स्कूली शिक्षा नियमावली 2009 के अनुसार राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों को प्री नर्सरी से कक्षा पहली तक 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त दाखिला देने का प्रावधान किया हुआ है। गत 1 अप्रैल 2015 में हाईकोर्ट के डबल बैंच ने भी फैसला देते हुए कहा था कि आरटीई एक्ट के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी दाखिले प्री नर्सरी से पहली कक्षा तक दिलाए जाएं, लेकिन इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। मगर वहां भी सरकार को कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद 18 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने सरकार की रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दी। इसके बावजूद भी हरियाणा सरकार ने गरीब बच्चों को प्री नर्सरी से पहली तक की कक्षाओं में मुफ्त दाखिला देने से इंकार कर दिया।
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