चंडीगढ़ : पहले दिन से ही पंजाबी मात्र भाषा व् पंजाबियत की तेह दिल से सेवा कर रहे पंजाब के मशहूर सूफी फनकार कँवर ग्रेवाल का नया गीत ज़मीर रिलीज़ किया गया. अपनी गायकी अनुसार ही इस बार भी कँवर ग्रेवाल का यह गीत बहुत बड़ी सामाजिक समस्या प्रति लोगों को जागरूक करने जैसा है.
मौजूदा हालातों में चल रहे पंजाबी संगीत व् गीतों में प्रयोग किये जा रहे सामाजिक व् पंजाबी सभ्याचार को हिंसक रूप दे रहे उन सारे तत्वों के प्रतिकूल करने की जो ये राह पर हैं उन सब को यह गीत ज़मीर हर पंजाबी के ज़मीर को एक सन्देश है जो की इस सभ को सही साबित करने के लिए अक्सर सफाइयां देते हैं जिस से पंजाबियत खतरे के निशान की तरफ बढ़ती जा रही है.
एक अपील इस गीत के ज़रिये की जा रही है पंजाबी सभ्याचार के उन सेवादारों और दर्शोकं से जो सिर्फ पैसे के पीछे लग के अपने अस्तित्व तक को झुठला के समाज में पंजाब और पंजाबियत की एक और ही मनघड़ंत तस्वीर को बिगाड़ने में लगे हुए हैं और असल मायनों में ये गीत गीतकार की तरफ से एक विनती भी है और एक चेतावनी भी.
इस गीत के ज़रिये कँवर ग्रेवाल ने पंजाबी मात्र भाषा और पंजाबी सभ्याचार के बारे में जो चिंता जताई है वो बहुत ज़रूरी है और उम्मीद है के जिस महत्व से ये गीत बनाया है दर्शकों की तरफ से उसे वैसे ही कबूल किया जायेगा व् भविष्य में हमें इस राह पर चलने वाले नए कदम भी मिलेंगे.