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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

दर्शन के लिए केरल पहुंचीं तृप्ति देसाई का विरोध, कोच्चि एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकल पाईं

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तिरुवनंतपुरम.सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति देसाई सात महिलाओं के साथ शुक्रवार सुबह कोच्चि एयरपोर्ट पहुंचीं। उनके आने की खबर लगते ही प्रदर्शनकारी रात से ही कोच्चि एयरपोर्ट के बाहर डट गए। भारी विरोध के चलते पुणे से आईं सभी महिलाएं बाहर नहीं निकल पाईं। शनिवार को मंदिर के पट दो महीने के लिए खोले जाएंगे। इस दौरान यहां वार्षिक पूजा ‘मंडाला मक्काराविल्लाक्कू’ होगी। मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध हो रहा है।

प्रदर्शन में शामिल भाजपा नेता एमएन गोपी ने कहा कि हम तृप्ति देसाई और उनके साथियों को पुलिस या सरकारी गाड़ी में नहीं जाने देंगे। अगर वे चाहें तो निजी गाड़ी लेकर यहां से निकल सकती हैं। अगर वे एयरपोर्ट से निकलती हैं तो रास्ते में उनके खिलाफ विरोध हो रहा है। तृप्ति ने शनिवार को मंदिर में दर्शन के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी थी। विरोध के बीच तृप्ति ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को हिंसा नहीं करनी चाहिए। अगर सरकार हमें सुरक्षा नहीं देगी, तब भी मंदिर जाएंगे। हमें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

सर्वदलीय बैठक विफल रही

सबरीमाला विवाद पर चर्चा के लिए केरल सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें प्रस्ताव रखा था कि महिलाओं के मंदिर में दर्शन के लिए अलग दिन तय कर दिया जाए। हालांकि, ये बैठक विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के वॉकआउट के चलते विफल हो गई। राज्य सरकार ने गुरुवार रात से 7 दिनों के लिए 4 जगहों इलावुनकल, नीलक्कल, पंबा और शनिदानम में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की है।

कोर्ट के आदेश के बाद दो बार खुला मंदिर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब तक सबरीमाला मंदिर के पट दो बार खोले गए हैं। लेकिन, हिंसक विरोध के चलते कोई भी ऐसी महिला मंदिर में दर्शन करने नहीं जा सकी है, जिसकी उम्र 12-50 वर्ष के बीच हो। प्रशासन ने गुरुवार को फैसला किया कि मीडियाकर्मियों को शुक्रवार सुबह से पंबा जाने की इजाजत दी जाएगी। इलावुनकल और नीलक्कल में जिन श्रद्धालुओं को रोका गया है, उन्हें शुक्रवार दोपहर बाद आगे बढ़ने की परमिशन मिलेगी।

श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हैं: केरल सरकार
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विपक्षी पार्टियों के वॉकआउट के बाद कहा- हम इस संभावना पर विचार कर रहे थे कि मंदिर में महिलाओं के दर्शन के लिए अलग दिन तय किया जाए। इसके लिए चर्चा की आवश्यकता थी। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को दिए फैसले में साफ कहा है कि सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिया जाए। राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठा सकती। हालांकि, हम श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हैं।

सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करवाएंगे
विजयन ने कहा, “सरकार अड़ियल नहीं है, लेकिन हमारे पास सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अगर कल अदालत कोई और फैसला लेती है तो हम उसका अनुसरण करेंगे। जहां तक बात श्रद्धालुओं की है, उन्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करवाएंगे। सरकार को अदालत के फैसले का सम्मान करना है और श्रद्धालुओं को इस बात को समझना चाहिए।”

वक्त की बर्बादी थी सर्वदलीय बैठक: भाजपा
विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 22 जनवरी तक लागू ना किया जाए। क्योंकि, इसी दिन 28 सितंबर को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर कोर्ट को विचार करना है। नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने कहा- सरकार कोर्ट का फैसला लागू करने पर अड़ी हुई है और किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। ये श्रद्धालुओं के लिए एक चुनौती है। सबरीमाला धाम को कमजोर करने की कोशिश है। केरल भाजपा के चीफ पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा की सर्वदलीय बैठक वक्त की बर्बादी थी।

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तृप्ति देसाई ने कहा कि मंदिर जाने के विरोध में उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है।
केरल सरकार ने कहा कि सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी। – फाइल