एक ओर जहां पंजाब सरकार की ओर से डैपो प्रोग्राम के तहत सूबे को नशा मुक्त बनाने लिए मुहिम चलाई जा रही है, वहीं सीमावर्ती जिला अभी भी नशे की जकड़ से बाहर नहीं आ पा रहा है। जिला व पुलिस प्रशासन की ओर से जिले को नशा मुक्त बनाने के लिए बड़े-बड़े तस्करों को पकड़ उन्हें जेलों में तो बंद किया जा रहा है, लेकिन नशा तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि उनके नीचे काम करने वाले छोटी उम्र के लड़के व युवक अभी भी गांवों में नशे की सप्लाई कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला कस्बा झब्बाल के गांव सोहल में उस समय देखने को मिला जब कुछ अज्ञात लोगों ने नशा बेचने वाले करीब 37 लोगों की सूची तैयार कर कस्बे के विभिन्न क्षेत्रों में लगा दी। यह पहली बार नहीं हुआ इससे पहले तरनतारन के मंड एरिया के गांव मुंडापिंड व गांव झब्बाल में भी नशा तस्करों के नामों की सूचियां लगाई गई थी।
पुलिस पर तस्करों की मदद के आरोप
गांव सोहल में यह नशा तस्करों की सूची देख गांववासी हैरान है कि उनके गांव में इतने लोग हैं, जो नौजवानों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर उन्हें तबाह कर रहे हैं। इस बाबत गांव वासी हरजिंदर सिंह, रूप सिंह, चन्नप्रीत सिंह, केवल सिंह व राम कुमार का कहना है कि पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन की ओर से केवल औपचारिक रूप से जिले को नशामुक्त बनाने के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है। तस्कर पुलिस कर्मचारियों की मदद से ही नशे की पुड़ियां सप्लाई कर पंजाब की जवानी को तबाह कर रहे हैं। यह सूची किसने लगाई अभी तक इसका कुछ पता नहीं चल पाया है।
किसी नशा तस्कर को नहीं बख्शेंगे, जांच होगी : डीसी
डीसी प्रदीप सभ्रवाल का कहना है कि किसी भी नशा तस्कर को किसी नौजवान की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं करने दी जाएगी। गांव सोहल में लगाई गई सूची का मामला उनके ध्यान में आया है और इसकी गंभीरता से जांच करवाई जाएगी। किसी भी नशा तस्कर को बख्शा नहीं जाएगा। नशा तस्करों की लगी इस सूची बाबत जब गांव सोहल के सरपंच से बार-बार संपर्क किया गया तो उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया।