भागवत ने कहा, ‘एक तो बहुत प्रसिद्ध हैं जनके बारे में मीडिया में खबर आ रही है. आपको वहां से पता चला, मुझे भी वहीं से पता चला. ऐसा होने का प्रयास चल रहा है. वो भी मेरे पास आए. मैंने कहा ये हमारा काम नहीं है. उन महाशय ने सुना नहीं. क्या उनको सूझी, एक कार्यक्रम में मैं भी बैठा था और आचार्य धर्मेंद्र जी भी बैठे थे. उन्हीं के सामने उन्होंने प्रस्ताव दे दिया और प्रस्ताव में डाला की सभी पारित करें.’
भागवत ने आगे कहा, ‘मैंने उनसे कहा गलती से भी मत करिए, कम से कम यहां तो मत करिए. क्योंकि आचार्य जी बैठे थे और मुझे मालूम था कि वह क्या बोलेंगे. जैसे ही उन्होंने प्रस्ताव डाला, आचार्य जी खड़े हो गए और 15 वाक्यों में प्रस्ताव ध्वस्त हो गया.’
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में श्रीश्री रविशंकर लखनऊ और अयोध्या के दौरे पर गए थे. इस दौरान उन्होंने राम मंदिर मुद्दे पर कोर्ट के बाहर सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए प्रयास करने की बात कही थी.