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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

केवल दस प्रतिशत माता-पिता ही बच्चों के प्रति गंभीर

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चंडीगढ़। लगातार बदल रही जीवनशैली और खानपान में आ रहे बदलाव के बीच जहां ट्राईसिटी के लोग अपने शरीर से संबंधित अन्य बीमारियों के प्रति गंभीरता दिखाते हैं वहीं 90 प्रतिशत लोग दांतों के प्रति लापहरवाही बरत रहे हैं जबकि किसी भी व्यक्ति के चेहरे की खूबसूरती उसके दांतों पर निर्भर करती है। सिटी ब्यूटीफुल व इसके आसपास के क्षेत्रों में केवल दस प्रतिशत लोग अपने दांतों की संभाल अथवा रख-रखाव के प्रति गंभीर हैं। यहां बहुत कम माता-पिता ऐसे हैं जो अपने बच्चों को दांतों के प्रति सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करते हैं।
यह जानकारी फोरम फॉर इंडियन जर्नलिस्ट ऑन एजुकेशन, एनवायरमेंट, हेल्थ एंड एग्रीकल्चर (फिजीहा) द्वारा क्लोव डेंटल के सहयोग के बच्चों के दांतों की संभाल के लिए आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के दौरान डॉ.आरती शर्मा कपिला ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में दी।
डाक्टर कपिला ने कहा कि अधिकांश माता-पिता यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चों को सभी जरूरी टीके वक्त पर लगें, किसी भी बीमारी के पहले ही संकेत पर वे बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाते हैं और उन्हें अच्छे से अच्छा पोषण देते हैं। लेकिन बात जब ओरल व डेंटल हैल्थ की आती है तो डेंटिस्ट के पास जाने की बात को अक्सर अनदेखा किया जाता है। बच्चों को डेंटिस्ट के पास तभी ले जाया जाता है जब दांत दर्द असहनीय हो जाता है।
उन्होंने कहा कि अगर स्थायी दांत आने से पहले ही दूध का दांत टूट जाए तो ऐसा ज्यादातर दंत रोग की वजह से होता है। यह समस्या इतनी ज्यादा होती है कि डेंटल ट्रीटमेंट से भी दांत को बचाया नहीं जा सकता।
बच्चों के दूध के दांत स्थायी दातों के लिए जबड़े में होल्डिंग स्पेस बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब कोई दूध का दांत वक्त से पहले गिर जाता है तो उसके बगल वाला दांत उस खाली जगह पर शिफ्ट हो जाता है जिससे आगे चलकर समस्या उत्पन्न होती है और दांतों पर ब्रेसिस लगाने पड़ते हैं।
दांतों के नाम पर बच्चों को न दे तनाव: ज़ोनल क्लीनिकल हैड डॉ.पंकज कौशिक ने कहा कि यह आवश्यक है कि माता-पिता सकारात्मक बातचीत के साथ बच्चों को डेंटिस्ट के पास ले जाएं। ड्रिलिंग, दर्द, सुई आदि शब्दों से परहेज करें क्योंकि इससे बच्चा तनाव का अनुभव करता है जिससे उसकी डेंटल हैल्थ की अनदेखी होती है।
पैसिफायर या चम्मच की मदद से माता-पिता से बच्चे में संक्रमण प्रसार को रोकना, फ्लोराइड की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना, अस्वास्थ्यकर स्नैक्स से परहेज करना तथा नियमित रूप से डेंटल चैकअप के लिए जाना जरूरी है।
इस अवसर पर बोलते हुए फिजीहा के अध्यक्ष डॉ.नवनीत आनंद ने कहा कि फिजीहा द्वारा समाज के हित में इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिससे लोगों को लाभ मिले।