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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

कृषि सुधार बिलों के नाम पर देश के किसानों के हितों पर केन्द्र सरकार द्वारा कुठाराघात किया गया है – हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन

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पचकुलां 23 सितंबर- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि तीन कृषि सुधार बिलों के नाम पर देश के किसानों के हितों पर केन्द्र सरकार द्वारा कुठाराघात किया गया है। वह आजाद भारत के इतिहास में किसानों के लिए मौत का पैगाम लेकर आया है। देश का किसान इन नादिरशाही और काले कानूनों का भारतीय जनता पार्टी को जबाब देगा।

श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में जो नाम मात्र की 2.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है, उससे स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी का चेहरा और चरित्र अलग-अलग है। भाजपा देश के लोगों को गुमराह करने में किसी भी तरह का दुष्प्रचार का सहारा लेकर झांसे में फंसाने में इसका कोई भी सानी नहीं है। पहले देश के किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और फसलों के दाम दोगुने करने के नाम पर भ्रमित करके वोट बटोरने के पश्चात , किसानों के पत्न की इबादत लिखने और कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसानों के डैट वारंट के रूप में अनैतिक तरीके से कृषि सुधारों के नाम पर किसानों के गले में फांसी का फंदा डाल दिया गया है ,अब किसान बचकर भाग नहीं सकता है। ‌

गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रूपए प्रति क्विंटल यानी 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी को किसानों के साथ भद्दा मजाक बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि फसलों के दाम वर्ष 2022 तक दोगुना करने का भ्रामक प्रचार करके किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा किया है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में उतरी भारत की सबसे अधिक पैदा होने वाले गेहूं का मूल्य 1400 रूपए प्रति क्विंटल था जो भाजपा के मैनीफेस्टो के अनुसार पिछले 7 वर्षों के दौरान बढ़कर 2022 तक 2800 रूपए प्रति क्विंटल मिलना चाहिए था। लेकिन किसानों को मिलेगा 1975 रूपए प्रति क्विंटल । गेहूं के भाव में पिछले तीन साल में भाजपा सरकार द्वारा 135 रूपए प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की गई है, जो कि 12.13 प्रतिशत बनती है, जबकि कांग्रेस पार्टी के शासन काल 2012 से 2014-15 तक 115 रुपए की गई जो कुल बढ़ोतरी का 17.16 प्रतिशत बैठता है। इससे भाजपा की सच्चाई देश के किसानों के सामने उजागर हो गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने कभी देश को शाईनिंग इण्डिया के नाम पर गुमराह किया, तो कभी नोटबंदी और जी एस एस टी के नाम पर तो कभी आत्मनिर्भर भारत के नाम पर। इन सब का जो हश्र हुआ है वह देश के लोगों के सामने है। अब देश के किसानों को कारपोरेट घरानों का गुलाम बनाने का नया शगूफा छोड़ा है। अब तो देश के गरीब लोगों को आलू-प्याज और दालें भी बड़े-बडे कारपोरेट घरानों और साहुकार लोगों से पूछ कर खाना पड़ेगा, क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के लागू होने से इनकी काला बाजारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इसी कालाबाजारी को रोकने के लिए सन् 1955 में यह कानून लागू किया था। अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 65 साल पुराना, गरीब हितेषी बिल को निरस्त करके इस बात का परिचय दिया है कि आने वाला समय देश के किसानों और गरीबों के लिए मुसीबत लेकर आगे आने वाला है। ‌ श्री चन्द्र मोहन ने देश के किसानों और गरीबों को विश्वास दिलाया है कि जब तक कृषि सुधार सम्बन्धित तीनों कानूनों को वापिस नहीं लिया जाता है,तब तक कांग्रेस पार्टी चुप नहीं बैठेंगी‌ । इसके लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, कांग्रेस पार्टी कभी भी पीछे नहीं हटेगी। कांग्रेस पार्टी ने उन विदेशी आक्रांताओं को भगा दिया था तो अब भाजपा सरकार के आतंक से मुक्ति भी देश के किसानों को कांग्रेस पार्टी ही दिलवाएगी‌। इस लिए सभी देशवासियों से अपील है कि किसानों और गरीबों के साथ हुए इस अन्याय का एक जूट होकर मुकाबला करें, तभी सफलता हासिल होगी।

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हेमन्त किगरं