हिसार (वैभव शर्मा).हिसार के एकमात्र वीरचक्र विजेता शहीद हवासिंह को उनके ही गांव मिर्जापुर में 47 साल बाद पहचान मिली है। 21 वर्षीय सेंकेंड लेफ्टिनेंट हवासिंह 1971 की लड़ाई में बांग्लादेश के अतग्रम पॉइंट पर शहीद हुए थे। इसके बाद लोगों ने उन्हें भुला दिया। मगर, उनकी शहादत से चौथी कक्षा का बच्चा डीवी नेहरा प्रेरित हुआ और आगे चलकर सेना में अफसर बना। नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) में सेवाएं दे रहे कर्नल डीवी नेहरा को जब पता चला कि जिनसे प्रेरित होकर वे सेना में आए थे, उनकी पहचान अपने ही गांव व शहर में खो गई है। तब उन्होंने शहीद को सम्मान दिलाने की ठानी। अब सफलता मिली है। जानिए पूरा संघर्ष उन्हीं की जुबानी…
कर्नल डीवी नेहरा बताते हैं, ‘मैं चौथी कक्षा में था, तब एक किताब में वीरचक्र विजेता शहीद हवासिंह की कहानी पढ़ी। उनसे प्रेरित होकर ही सेना में जाने का फैसला किया था। एक कार्यक्रम में हिसार के शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया गया था। मुझे भी बुलाया था। सूची में शहीद हवासिंह के परिवार का नाम नहीं था। तब मैंने उनके परिवार को खोजना शुरू किया। गांव के एक बुजुर्ग से पता चला कि 1971 में शहीद होने के बाद बांग्लादेश से उनकी अस्थियां ही गांव आईं थी। तब सीएम चौधरी बंसीलाल भी आए थे। हवासिंह अविवाहित थे। माता-पिता का कुछ समय बाद निधन हो गया। भाई चंडीगढ़ में रहता है।
मैंने सरपंच कृष्ण बूरा, राजबीर पूनिया, पूर्व चेयरमैन रघुबीर सिंह की मदद से चंडीगढ़ में रहने वाले शहीद के भतीजे कृष्ण कुमार चहल से संपर्क किया। प्रशासन से मिलकर रिकाॅर्ड जांचा तो शहीद का नाम मिला। फिर से कोई उनका नाम न भूल जाए, इसलिए पंचायत से स्टेडियम व द्वार बनवाने पर चर्चा हुई। सीएम अनाउंसमेंट में हवासिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्टेडियम को शामिल कराया। इस पर काम शुरू हो गया है। स्टेडियम के लिए 8 एकड़ भूमि पंचायत ने दी। गांव में हिसार व हांसी की तरफ निकलने वाले रास्तों पर गेट भी लगाए गए हैं।
अब शहीद की याद में ये हो रहे काम
सीएम अनाउंसमेंट से गांव में करीब 1 करोड़ रुपए से शहीद हवासिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्टेडियम व दो द्वार बनाने का काम शुरू हुआ है। राज्यसभा सांसद डीपी वत्स ने ग्रांट से 5 लाख व ढाई लाख रुपए अलग से जिम के लिए दिए हैं। पंचायत हर वर्ष गांव में 21 नवंबर को शहादत के दिन खेल प्रतियोगिताएं कराएगी।
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