कभी 93% तक था पीएसईबी का रिजल्ट, 90 के दशक से क्लैरिकल वर्क में लगे शिक्षक, 50%तक गिरा परिणाम

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प्रवीण पर्व,जालंधर .मोहाली के फेज-8 स्थित विद्या भवन में पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (पीएसईबी)का बड़ा सा लोगो बना है, जिस पर लिखा है ‘फैले विद्या, चानण होए’ जिसका अर्थ है कि शिक्षा का अधिक से अधिक विस्तार हो ताकि हमारा मार्ग आलोकित होता रहे… पर क्या एेसा हो रहा है?

भास्कर ने स्थापना के 50वें साल में प्रवेश कर रहे पीएसईबी की स्थिति का शिक्षाविदों से एनालिसिस कराया तो पाया कि पिछले पांच दशक में हमारी साक्षरता दर महज 75.84% तक ही पहुंच पाई है, जबकि हमसे छोटे राज्यों की साक्षरता दर तेजी से बढ़ी है। रिजल्ट पर गौर करें तो पांच दशक में 10वीं के नतीजे तीन बार छोड़कर कभी 90% के ऊपर गए ही नहीं। सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आउट स्टूडेंट्स की संख्या में वृद्धि हो रही है? सरकार ‘पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब’ योजना से सूबे की शिक्षा में प्राण फूंकने की कोशिश तो कर रही हैं, लेकिन नतीजे विपरीत दिशा में ही गोते लगा रहे हैं।

प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में होने वाले एडमिशन में पिछले 5 साल में 2.06 लाख की कमी आई है। घटती संख्या के चलते 800 स्कूलों को मर्ज किया गया। पीएसईबी एग्जाम कंडक्ट और एफीलिएशन देने तक ही सीमित हो कर रह गया है। बोर्ड में शिक्षाविदों की जगह ब्यूरोक्रेट्स का कब्जा हो गया है। सिलेबस बेहतर बनाने के लिए अकादमिक विमर्श होने बंद हो गए हैं। बच्चों के इवैल्यूएशन सिस्टम पर भी गौर करने की जरूरत है। सूबे में 1986 की शिक्षा नीति ही चल रही है। पढ़िए… ‘फैले विद्या, चानण होए’ के मकसद से काम कर रहे बोर्ड के पांच दशक की एनालिसिस रिपोर्ट…

1988 में 93.29% जा पहुंचा था रिजल्ट, 92 में 43% तक आया, छात्र भी घटे :प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में होने वाले दाखिले में पिछले 5 साल में 2.06 लाख की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में 26.41 लाख छात्र (प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी) पढ़ रहे थे, लेकिन 2017-18 में यह घटकर 24.34 लाख रह गया। इस तरह 5 साल में औसतन हर साल करीब 40 हजार छात्र कम हुए। वर्तमान में निजी स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों की संख्या 32.75 लाख है, जो सरकारी स्कूलों के मुकाबले 8 लाख ज्यादा है। हालांकि, शिक्षा विभाग का दावा है कि 2017-18 में नामांकन दर में वृद्धि हुई है। शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार के अनुसार ‘पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब’ के तहत सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ाने की कोशिश हो रही है। सरकारी स्कूलों मंें प्री-नर्सरी सेक्शन भी शुरू किया गया है।

पहले पीयू चंडीगढ़ कराती थी दसवीं की परीक्षा :बोर्ड बनने से पहले 10वीं की परीक्षा पीयू चंडीगढ़ कराती थी। बोर्ड बनने के बाद 4986 मिडिल, 4788 सीनियर सेकंडरी, 4213 बेसिक और 349 इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग स्कूल के साथ सूबे में कुल 13,987 स्कूलों का नेटवर्क है। अब हर दो किलोमीटर पर सरकारी स्कूल है, लेकिन कम छात्रों के चलते 800 स्कूल दूसरों में मर्ज कर दिए गए।

एक्सपर्ट व्यू पंजाब बोर्ड के लिए सलाह :पटियाला स्थित डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर कुलदीप सिंह ने कहा कि सूबे में सीबीएसई बोर्ड की जरूरत नहीं थी। एक राज्य में एक बोर्ड होना चाहिए था। बोर्ड को इवैलुएशन सिस्टम पर गौर करना चाहिए। सीबीएसई पैर्टन फॉलो तो हो रहा है लेकिन अच्छी सुविधाएं नहीं हैं।

शिक्षा को व्यवाहारिक व रोचक बनाना होगा, तभी ड्रॉपआउट से निजात मिलेगी: पंजाब बोर्ड का इवैलुएशन सिस्टम भी ठीक नहीं है। तरनतारन का रिजल्ट इस बार टॉप रहा पिछले साल बॉटम में था। बोर्ड कभी इवैलुएट ही नहीं करता कि आखिर एक जिला कभी टॉप करता है तो वह अगले साल पिछड़ क्यों जाता है? इसके अलावा शिक्षा को रोचक व व्यवाहारिक बनाना होगा, ताकि ड्रॉपआउट से निजात मिल सके। टीचरों को क्लर्की से मुक्त करना होगा। आज टीचर पढ़ाने के बजाय कई रिपोर्ट तैयार करने में ज्यादा समय बीत रहा है। यह चिंतनीय है?

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50th Anniversary of the Punjab School Education Board