पटियाला। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के जनरल हाउस की बैठक 29 नवंबर को अमृतसर में होगी। यह फैसला यहां गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब में शिरोमणि कमेटी की अंतरिम कमेटी की बैठक में लिया गया। साथ ही तय किया गया कि जनरल हाउस की बैठक में सभी सिख संगठनों की सर्वसम्मति से एसजीपीसी के अगले प्रधान का चुनाव कर लिया जाएगा, यानि कमेटी प्रधान के लिए कोई चुनाव नहीं होगा।
उधर, सोमवार को अंतरिम कमेटी की बैठक की सूचना मिलते ही सिख सद्भावना दल के सदस्यों ने गुरुद्वारा साहिब में कमेटी सदस्यों के खिलाफ हाथों में पोस्टर लेकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि गुरुद्वारा डांगमार साहिब को खुलवाने के लिए किसी भी कमेटी ने कोई भी कार्य नहीं किया। वह पंजाब भर में एसजीपीसी को जगाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा साहिब के मामले को लेकर 28 नवंबर को राष्ट्रपति भवन का घेराव कर प्रदर्शन किया जाएगा।
प्रधानगी की दावेदारी का सवाल टाल गए बडूंगर
प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर से जब सवाल किया गया कि वह एसजीपीसी के प्रधानगी पद के लिए दावेदारी करेंगे या नहीं तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि समय पर देखा जाएगा। सिख सद्भावना दल के प्रदर्शन के सवाल पर प्रो. बडूंगर ने कहा कि सिक्किम का गुरुद्वारा साहिब बहुत उंचे स्थान पर है। इसके लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट लेकर सरकार से संपर्क किया गया था, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी की जा रही है।
अजायब घर में सिख विरोधी दंगों मारे गए लोगों की लगेगी फोटो
प्रो. बडूंगर ने कहा कि नवंबर 1984 में दिल्ली, कानपुर सहित भारत के अलग-अलग स्थानों पर किए गए सिख विरोधी दंगों में मारे गए सिखों की तस्वीरों को केंद्रीय सिख अजायब घर में लगाने का फैसला लिया गया। इस संबंध में एक पुस्तक तैयार करने के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा।
पंजाबी भाषा को सम्मान देने की मांग
प्रो. बडूंगर ने कहा कि पंजाबी भाषा से भेदभाव किया जा रहा है। कई लोग पंजाब के निवासी होते हुए भी अपने दफ्तरों के बाहर अपने नाम हिंदी व अंग्रेजी में लिख रहे हैं। र राज्य सरकार व चंडीगढ़ प्रशासन से पंजाबी भाषा को मान सम्मान देने की मांग की जाएगी।
अंतरिम कमेटी की बैठक में पकोका का विरोध
अंतरिम कमेटी की बैठक में कमेटी के सदस्यों ने पंजाब में लाया जा रहा पकोका कानून का कड़ा विरोध किया। प्रो. बडूंगर ने कहा कि इससे विशेष कानून एनएसए, मीसा, टाडा का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के खिलाफ ही हुआ।