एक अच्छा खिलाड़ी बनाने में माता-पिता, स्कूल के शिक्षक, खिलाड़ी के कोच, खेल वैज्ञानिकों और सरकार सभी की बराबर की भूमिका – महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
पेरीस में आयोजित ओलंपिक खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने भी मेडल जीतकर प्रदेश और देश का नाम किया रोशन – महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
– राष्ट्रीय स्तर या अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों में हरियाणा के लोगों का मस्तक हमेशा ही गर्व से ऊंचा रहता है
– खेल सिर्फ शारीरिक दक्षता और कौशल का प्रदर्शन मात्र ही नहीं बल्कि खेलों के द्वारा कोई भी देश पूरे विश्व को अपनी प्रगति, तकनीक तथा आर्थिक उन्नति का संदेश देता है
सोनीपत/चंडीगढ़, 27 सितम्बर —- खेल विश्वविद्यालय राई में आयोजित मिशन ओलंपिक-2036 ओलंपिक खेलों में सात से सत्तर पदकों के लक्ष्य विषय पर आयोजित सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा खेलों का प्रदेश है। उन्होंने खेल विश्वविद्यालय, राई को इस बहुत ही प्रासंगिक कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी।
महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि पेरीस में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया। जिसमें हरियाणा के खिलाड़ियों ने भी मेडल जीतकर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया। उन्होंने कहा कि जब भी खेलों की बात आती है, चाहे राष्ट्रीय स्तर के खेल हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल हो, हरियाणा के लोगों का मस्तक हमेशा ही गर्व से ऊंचा रहता है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि मैं ऐसे राज्य का राज्यपाल हूं जिसके खिलाड़ी दुनिया भर में देश का परचम लहराते है।
उन्होंने कहा कि पेरीस ओलंपिक में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन जितनी क्षमता हरियाणा प्रदेश और भारत की है उसके अनुरूप हम पदक जीतने में कामयाब नहीं हो पाए। लेकिन टोक्यो और पेरीस ओलंपिक से देश में एक सकारात्मक माहौल बना। जिसका परिणाम यह हुआ कि पैरालंपिक खेल 2024 में भारत के खिलाड़ियों ने अब तक सर्वाधिक 29 मेडल जीतकर देश को नई उचाईयों पर ले जाने का काम किया। इसके लिए मैं हरियाणा व देश के सभी खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान करता हूं।
उन्होंने कहा कि राई खेल विश्वविद्यालय वर्ष दो हजार बाईस में स्थापित हुआ और यह इस विश्वविद्यालय का दूसरा ही सत्र है। अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए विश्वविद्यालय ने संज्ञान लिया कि कैसे ओलंपिक खेलों में भारत को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाया जा सके, साथ ही हमारे पदकों की संख्या को कैसे सात से सत्तर तक पहुंचाया जाए। यह एक सराहनीय पहल है। श्री बंडारू ने कहा कि अगर वर्तमान के वैश्विक परिदृश्य को देखा जाए तो आज के समय में खेल सिर्फ अपनी शारीरिक दक्षता और कौशल का प्रदर्शन मात्र ही नहीं रह गया है बल्कि खेलों के द्वारा कोई भी देश पूरे विश्व को अपनी प्रगति, तकनीक तथा आर्थिक उन्नति का संदेश देता है। हमारे खिलाड़ियों की असफलता हमें जगाने वाली है और हम सबको मिलकर इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि कैसे अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार नई ऊंचाइयों पर लेकर जाया जा सके। उन्होंने कहा कि हम देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर चिंतन करते हैं, लेकिन बहुत कम मौके होते हैं जहां पर हम खेलों के बारे में चर्चा करते हैं, कि खेलों को कैसे आगे बढ़ाया जाए कैसे अपने खिलाड़ियों को तकनीकी सुविधाएं दी जाएं, खिलाड़ियों की जरूरतों को समझा जाए, ऐसा बहुत कम होता है।
उन्होंने कहा कि अगर ओलंपिक खेलों में अपने पदों की संख्या बढ़ानी है तो हमें इस बात पर गहन चिंतन करने की जरूरत है कि अपने देश में खिलाड़ियों को तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध हो, चाहे वह उनके प्रशिक्षण से संबंधित हो, उनके खान-पान से संबंधित हो या फिर उनके पुनर्वास से संबंधित हो। हम सब को सोचना पड़ेगा की एक अच्छा खिलाड़ी बनाना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें माता-पिता, स्कूल के शिक्षक, खिलाड़ी के कोच, खेल वैज्ञानिकों और सरकार सभी की बराबर की भूमिका होती है। इन सभी को मिलकर एक साथ काम करना होगा।
वर्तमान समय में देश में खेल की मूलभूत सुविधाएं बढी है, अभिभावकों का खेल के प्रति रुझान बढ़ा है, समाज का खेल के प्रति सम्मान बढ़ा है, साथ ही खेलों में खेल वैज्ञानिकों की भूमिका भी बढ़ी है। आज के समय में खेल मनोविज्ञान, खेल फिजियोलॉजी, खेल बायोमैकेनिक्स, खेल पोषण, फिजियोथेरेपी, पुनर्वास, खेल नृविज्ञान, खेल आनुवंशिकी के द्वारा खिलाडियों की खेल दक्षता बढ़ी है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया कि जहां तक संभव हो सके वे अपने खिलाड़ियों को वैज्ञानिक सुविधा उपलब्ध कराएं, तभी हम ओलंपिक खेलों में सात से सत्तर पदकों के सपने को साकार कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि अगर हमें सत्तर पादकों के लक्ष्य को हासिल करना है, तो हमें आज से नहीं, अभी से उसकी तैयारी शुरू करनी होगी। यह कठिन जरूर है, लेकिन संभव है। अगर खिलाड़ी अपना सर्वस्व झोंक दें, और खिलाड़ियों को सही वैज्ञानिक सुविधा मिले तो यह बिल्कुल संभव है कि हम 2036 ओलंपिक खेलों में सत्तर पदकों के मुकाम को जरूर हासिल कर पाएंगे। इस मौके पर कुलपति खेल विश्वविद्यालय राई अशोक कुमार, डीन व ऑर्गेनिसिंग सेक्रेटरी खेल विश्वविद्यालय राई डॉ. योगेश चंद्रा, डीन खेल विश्वविद्यालय राई ज्योति सोलंकी, प्रिंसिपल मोतीलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल राई मौशमी घोषाल सहित खेल विश्वविद्यालय राई सभी अधिकारीगण, शिक्षक, कोच, कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।