नई दिल्ली. यौन शोषण के आरोपों से घिरे एमजे अकबर ने बुधवार को केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर मी टू कैंपेन के तहत 10 दिन में 16 महिलाएं यौनशोषण के आरोप लगा चुकी हैं। अकबर रविवार कोनाइजीरिया दौरे से लौटे थे, तब से इस्तीफा देने तक 72 घंटे में वेचार केंद्रीय मंत्रियों-अरुण जेटली, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह से मिले थे। बुधवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से उनकी मीटिंगहुई। कहा जा रहा है एनएसएसे बातचीत में ही मंत्री पद छोड़ना तय हुआ।
अकबर ने आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मुकदमा किया है। इस पर आजसुनवाई होगी।20 महिलाएं उनके खिलाफ गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में गवाही देने के लिए तैयार हैं।
सरकार कोबदनामी का डर था : भास्कर को सूत्रों ने बताया कि अकबर को हटाने को लेकरवरिष्ठ मंत्रियों ने 12 अक्टूबर को बैठक की थी। इसमें तय हुआ कि उन्हें अचानक हटाने से सरकार की बदनामी होगी। इसलिए फिलहालचुप्पी बनाए रखना ही सही होगा। यही वजह रही किविदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मेनका गांधी ने इस मुद्दे पर किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।
निजी हैसियत से लड़ाई लड़ेंगे अकबर : सरकार चाहती थी कि अकबर को आरोपों के खिलाफ कानूनी लड़ाई में निजी हैसियत से शामिल होना चाहिए, न कि केंद्रीय मंत्री की हैसियत से। ऐसा होता तो हर सुनवाई पर सरकार को बदनामी झेलनी पड़ती। इसलिए मानहानि मामले की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसी के तहत अकबर ने भी इस्तीफे में इस बात का जिक्र किया है कि वे कानूनी लड़ाई निजी हैसियत से लड़ेंगे।
‘झूठे आरोपों के खिलाफ लड़ूंगा’ : अकबर ने इस्तीफे के बाद बयान दिया,”मैं अदालत में न्याय के लिए गया हूं। ऐसे में मेरा पद से इस्तीफा दे देना उचित है। मैं इन झूठे आरोपों के खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा।” उधर, प्रिया रमानी ने ट्वीट किया,”अकबर के इस्तीफे के बाद हम सही साबित हो रहे हैं। अब उस दिन का इंतजार है, जब हमें अदालत में न्याय मिलेगा।” प्रिया के 8 अक्टूबर के एक ट्वीट के बाद से ही अकबर के खिलाफ आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ था।
कौन हैं अकबर : अकबर ने 1971 में टाइम्स ऑफ इंडिया से ट्रेनी के तौर पर पत्रकारिता करियर की शुरुआत की। वे कई बड़े पत्रकारिता संस्थानों में काम कर चुके हैं। उन्होंने राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया। 1989 से 1991 के बीच कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। 2014 में वे भाजपा में शामिल हुए थे।
विदेश मंत्रालय में यौन शोषण की शिकायतें सबसे ज्यादा : एमजे अकबर जिस मंत्रालय में दो साल तक राज्य मंत्री रहे, उसमें यौन शौषण की शिकायतें सबसे ज्यादा दर्ज की गईं। 18 मंत्रालयों में 36 शिकायतें दर्ज हुईं। इनमें सबसे ज्यादा 36% यानी 13 शिकायतें सिर्फ विदेश मंत्रालय में थीं। यौन शोषण के सबसे ज्यादा सात केस लंबित भी यहीं थे। ये जानकारी आरटीआई के तहत हासिल हुई है।
चित्रांगदा ने कहा- मी टू कैंपेन को जिम्मेदारी से लेना होगा
- चित्रांगदा सिंह: “मी टू कैंपेन को हमें बेहद जिम्मेदारी और ईमानदारी से चलाने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि इस बारे में सही कदम उठाए जा रहे हैं। यह काफी सराहनीय है कि समाज में बदलाव देखा जा रहा है। अब सत्य को समर्थन मिल रहा है, लेकिन इस कैंपेन को किसी को जबरन ज्वाइन नहीं करना चाहिए।”
- राज ठाकरे: “मी टू कैंपेन को बेरोजगारी, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें और गिरते रुपया से ध्यान हटाने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाएं इस मुद्दे पर एमएनएस के पास आ सकती हैं। हम आरोपी को पाठ पढ़ाएंगे। कुछ गलत होने पर महिलाओं को फौरन आवाज उठानी चाहिए ना कि 10 साल बाद।”
- सुशांत सिंह: “हर केस अलग होता है। आलोक नाथ पर वनिता नंदा के लगाए आरोप गंभीर हैं। वनिता ने हमें लिखित शिकायत की है। इसलिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।” सुशांत सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एओसिएशन के सचिव हैं।
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